जातिगत जनगणना को लेकर देशभर में विवाद जारी है। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर जातिगत जनगणना करवाने का दबाव बनाना जारी रखा है। कांग्रेस और अन्य कई राजनीतिक पार्टियां इस जनगणना की मांग कर रही हैं।
जाति जनगणना पर कांग्रेस: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने जातिगत जनगणना के पक्ष में बयान दिया है, लेकिन इसके राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग की आलोचना की है। संघ का कहना है कि जातिगत जनगणना का उद्देश्य केवल लोगों के कल्याण के लिए होना चाहिए, न कि चुनावी लाभ के लिए राजनीतिक औजार के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इस पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मंगलवार (3 सितंबर) को पूछा कि अगर संघ ने हरी झंडी दे दी है, तो क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस की गारंटी को हाइजैक करके जातिगत जनगणना कराएंगे? कांग्रेस ने इस मुद्दे पर संघ और सरकार से पांच प्रमुख सवाल पूछे हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पूछा कि क्या आरएसएस के पास जातिगत जनगणना पर विशेष अधिकार है?
कांग्रेस ने पूछे सरकार से पांच सवाल
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मोदी सरकार और आरएसएस को लेकर कुछ सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा, “आरएसएस को जाति जनगणना पर निषेधाधिकार क्यों? जाति जनगणना की इजाजत देने वाला आरएसएस कौन है? जब आरएसएस कहता है कि जाति जनगणना का चुनावी लाभ के लिए दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, तो इसका क्या मतलब है? क्या यह जज या अंपायर बनने की कोशिश है?”
जयराम ने यह भी सवाल किया कि आरएसएस ने दलितों, आदिवासियों और ओबीसी के लिए आरक्षण की 50% सीमा को हटाने के संवैधानिक संशोधन पर क्यों चुप्पी साध रखी है? उन्होंने पूछा, “अब जब आरएसएस ने हरी झंडी दे दी है, क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस की एक और गारंटी को हाईजैक करके जाति जनगणना कराएंगे?”
इसके अलावा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी आरएसएस से सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आरएसएस को स्पष्ट करना चाहिए कि वह जाति जनगणना के पक्ष में है या खिलाफ। खरगे ने यह भी सवाल किया कि क्या आरएसएस, जो संविधान के बजाय मनुस्मृति के पक्ष में है, दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्ग और गरीबों की भागीदारी की चिंता करता है या नहीं।