दिल्ली पुलिस को 8 दिसंबर को तकरीबन 4 बजे गौतम नगर के एक मकान के मालिक ने रिपोर्ट की थी कि उनके किरायेदार, डॉ. जय दिपेश सावला, ने खुदकुशी कर ली है।
दिल्ली समाचार: दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से एक डॉक्टर की आत्महत्या का मामला सामने आया है। मृतक डॉक्टर ने गौतम नगर के अपने किराए के आवास में पंखे में चादर से बने फंदे में लटककर अपनी जान दे दी। मृतक डॉक्टर का नाम डॉ. जय दिपेश सावला था और वह महाराष्ट्र के मुंबई से थे। उन्हें मानसिक तनाव की स्थिति में बताया जा रहा है और इस कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली।
साउथ दिल्ली की डीसीपी चंदन चौधरी ने बताया कि हौज खास पुलिस को 8 दिसंबर को तकरीबन 4 बजे गौतम नगर के एक मकान के मालिक ने रिपोर्ट की थी कि उनके किरायेदार, डॉ. जय दिपेश सावला, ने खुदकुशी कर ली है। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस गौतम नगर स्थित हरदेव पूरी के मकान में पहुंची जहां उन्होंने पाया कि डॉक्टर जय ने पंखे में चादर से बने फंदे में लटककर आत्महत्या कर ली है।
शव को परिजनों के हवाले किया गया
पुलिस ने क्राइम टीम को मौके पर बुलाया और घटनास्थल की जांच करवाई। डॉ. जय दिपेश सावला को एम्स हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया। पुलिस ने मृत डॉक्टर के शव को पोस्टमार्टम के बाद उनके परिजनों के हवाले कर दिया और आगे की कार्रवाई में जुट गई है।
15 दिनों में डॉक्टरों के आत्महत्या की चौथी घटना
सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर से जुड़ी दुखद घटना चिकित्सा पेशेवरों के बीच मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के बारे में जागरूकता बढ़ाने और चर्चा की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। पिछले 15 दिनों के भीतर विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में रेजिडेंट डॉक्टरों की हालिया आत्महत्याओं ने गंभीर सवाल उठाए हैं और डॉक्टरों को अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में सतर्क रहने के महत्व पर जोर दिया है। यह समाज को चिकित्सा पेशेवरों के बीच मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों को संबोधित करने के लिए चर्चा और जागरूकता अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल होने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
एक डॉक्टर ने उठाये गंभीर सवाल
डॉक्टर ध्रुव चौहान ने जय दिपेश सावला की ऐसी आत्महत्या पर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी है, “इस बात में हैरानी की बात यह है कि वह मानसिक या शारीरिक रूप से सामान्य डॉक्टर नहीं था। वह एक शीर्ष स्तर के ब्लैक बेल्ट मार्शल आर्टिस्ट और अंतर्राष्ट्रीय रेटेड शतरंज खिलाड़ी के साथ-साथ सभी सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय थे। ऐसे व्यक्तित्व के लिए यह उल्लेखनीय है जो मानते हैं कि आत्महत्या केवल कमजोर लोगों का क्षेत्र है। इस देश में, और विशेषकर डॉक्टरों के बीच, अवसाद अब बस एक बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक महामारी है। इसको और भी गंभीरता से लेकर सरकार और अधिकारियों को समझने की आवश्यकता है। पिछले 1-2 सप्ताहों में हुई डॉक्टरों की चौथी आत्महत्या है।”