आगरा में नामी कंपनियों के नाम से नकली दवाइयां बेची जा रही थी. ड्रग विभाग द्वारा जांच के लिए भेजे गए 39 सैंपल फैल हो गए. वहीं 45 विक्रेताओं के लाइसेंस भी निरस्त कर मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
आगरा समाचार: आगरा में पता चला कि कुछ दवा विक्रेता नकली दवाएँ बेच रहे थे। इन दवाओं से लोगों को बेहतर होने में मदद मिलने वाली थी, लेकिन वे वास्तव में नकली थीं और किसी के स्वास्थ्य में सुधार नहीं कर सकीं। आगरा ड्रग विभाग ने इन दवाओं के 39 नमूनों की लैब में जांच की और पता चला कि ये असली नहीं हैं. इससे पता चला कि बाज़ार में बेईमान लोग नकली दवाएँ बेच रहे थे।
आगरा में एंटीबायोटिक्स और कफ सिरप जैसी कई नकली दवाएं बेची जा रही थीं। सरकार ने पता लगाया और 45 दवा विक्रेताओं के लाइसेंस रद्द कर दिये. वे लोगों को ये नकली दवाएं बेच रहे थे, जो उन्हें बीमार कर सकती थीं। आगरा में ड्रग विभाग ने अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक दवाओं के नमूनों का परीक्षण किया और पाया कि वे नकली थे।
औषधि विभाग ने 39 नमूने जांच के लिए भेजे, लेकिन वे फैल हो गए। नमूनों में एंटीबायोटिक गोलियाँ, गैस कैप्सूल और कफ सिरप शामिल थे, जो परीक्षण में विफल रहे। इसके चलते औषधि विभाग ने कंपनियों और फर्म मालिक के खिलाफ 12 मुकदमे दर्ज किए और 45 दवा विक्रेताओं के लाइसेंस रद्द कर दिए।
कुछ कंपनियां प्योर एंड क्योर हेल्थकेयर, हिमालिया मेडिटेक, कैंडेला हेल्थ केयर, अल्फा प्रोडक्ट्स, एबॉट हेल्थकेयर, विंग्स आदि नामों से नकली दवाएं बेच रही हैं। ये कंपनियां मशहूर हैं, लेकिन जो दवाएं ये बेच रही हैं वो असली नहीं हैं। औषधि विभाग के सहायक आयुक्त अतुल उपाध्याय ने पिछले साल लिए गए नमूनों की जांच के बाद कार्रवाई की है। लोगों को दवा लेते समय सावधानी बरतने की जरूरत है। दवा खरीदते समय हमेशा रसीद मांगें और यह सुनिश्चित करने के लिए क्यूआर कोड को स्कैन करें कि यह असली है।