अमेरिकी नियमों के तहत, किसी भी देश को कुल ग्रीन कार्ड आवंटन का 7% से अधिक हिस्सा नहीं दिया जा सकता, जिससे भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाले देशों के आवेदकों के लिए ग्रीन कार्ड प्राप्त करना कठिन हो जाता है।
अमेरिका की नागरिकता: गैलप, अमेरिका की बहुराष्ट्रीय विश्लेषिकी और सलाहकार कंपनी के अनुसार, दुनिया भर के लगभग 2.3 करोड़ डिग्रीधारक अमेरिका में अध्ययन करना चाहते हैं। अमेरिका में पढ़ाई कर रहे 73% विदेशी छात्रों की इच्छा अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने की होती है, लेकिन केवल 41% को ही नागरिकता मिल पाती है।
हार्वर्ड की एक स्टडी के मुताबिक, अमेरिका की 14% जनसंख्या प्रवासियों की है, और देश के 16% आविष्कारक भी प्रवासी हैं। ये प्रवासी 23% से अधिक नवाचार करते हैं, और स्थानीय लोगों के साथ उनके सहयोग को ध्यान में रखते हुए, कुल नवाचार में उनका योगदान 36% होता है।
किसी देश के आवेदनों में 7 प्रतिशत लोगों को ही ग्रीन कार्ड मिलेगा
अमेरिका के नियमों के तहत, किसी भी देश को 7% से अधिक ग्रीन कार्ड आवंटित नहीं किए जा सकते, जिससे भारत जैसे उच्च जनसंख्या वाले देशों के आवेदकों के लिए स्थिति कठिन हो जाती है। अमेरिकी विश्वविद्यालयों में 73% विदेशी स्नातक यदि वीजा आसानी से प्राप्त कर लें, तो वे अमेरिका में रहना चाहते हैं, लेकिन वास्तविकता में केवल 41% को ही ग्रीन कार्ड मिल पाता है। हालांकि अमेरिकी विश्वविद्यालय विश्वस्तरीय माने जाते हैं, पिछले 20 वर्षों में ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में विदेशी छात्रों की संख्या बढ़ी है।
वहीं, संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों में, जहां विदेशियों को नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति नहीं है, उन्हें उच्च वेतन वाली नौकरियों के लिए त्वरित वीजा मिल जाता है। यूरोप में, पुर्तगाल ने भी प्रतिभाशाली लोगों के लिए स्थितियां सरल बना दी हैं।
इकोनॉमिस्ट का अनुमान है कि यदि प्रतिभाशाली लोगों के लिए नियमों में ढील दी जाए, तो इससे संबंधित देशों को काफी लाभ हो सकता है। गैलप वर्ल्ड पोल के सर्वेक्षण के अनुसार, 2.3 करोड़ ग्रेजुएट्स अमेरिका, 1.7 करोड़ कनाडा, और 90 लाख ऑस्ट्रेलिया जाना चाहते हैं, जबकि चीन से 1.4 करोड़ और भारत से 1.2 करोड़ ग्रेजुएट्स की संख्या कम है।