चीन और पाकिस्तान ने मिलकर ग्वादर के पास भारत की जासूसी करने के लिए ड्रोन तैनात किया है। यह ड्रोन तुरबत के पाकिस्तानी नौसैनिक एयरबेस से उड़ान भर सकता है और ग्वादर और चाबहार सहित अरब सागर के अधिकांश हिस्सों की जासूसी कर सकता है। भारत का 60% से अधिक व्यापार अरब सागर के माध्यम से होता है।
इस्लामाबाद(पाकिस्तान): अरब सागर में भारत की बढ़ती ताकत से पाकिस्तान और चीन चिंतित हैं। यही वजह है कि दोनों देशों ने ग्वादर बंदरगाह पर नजर रखने और ईरान के चाबहार बंदरगाह की जासूसी के लिए ड्रोन तैनात किए हैं। ग्वादर पोर्ट के पास तुरबत नेवल एयरबेस पर ड्रोन स्क्वाड्रन की तैनाती को बेहद अहम घटनाक्रम माना जा रहा है। पाकिस्तान लंबे समय से ग्वादर के लोगों के विरोध का सामना कर रहा है। इन लोगों का आरोप है कि पाकिस्तान सरकार चीन को खुश करने के लिए उनके अधिकारों का गला घोंट रही है. वहीं, चीन की चाल चाबहार बंदरगाह पर भी नजर रखने की है, जिसे ईरान में भारतीय पैसे से विकसित किया गया है। इस एयरबेस से उड़ाए गए ड्रोन फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी के सबसे व्यस्त वाणिज्यिक जलमार्गों की निगरानी भी कर सकते हैं।
तुरबत नेवल एयरबेस पर तैनात ड्रोन के जरिए चीन और पाकिस्तान भारत की जासूसी कर सकते हैं। यहां से उड़ने वाले ड्रोन चाबहार के जरिए खाड़ी देशों से भारत के तेल आयात, ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों को होने वाले निर्यात पर नजर रख सकते हैं। साथ ही तुरबत नेवल एयरबेस के जरिए अरब सागर में भी भारतीय नौसैनिकों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी। इससे पाकिस्तान के अलावा चीन को भी काफी फायदा हो सकता है। वह भारत के पश्चिमी हिस्से में जिबूती में अपने नौसैनिक अड्डे के जरिए परेशानी खड़ी कर सकता है।
चीन का सीएच-4 ड्रोन अमेरिकी एमक्यू-9 ड्रोन की कॉपी है। आशंका जताई जा रही है कि चीन ने अमेरिकी तकनीक चुराकर इस ड्रोन को विकसित किया है। इस ड्रोन का पूरा नाम चांग होंग-4 भी है। इसे चीन के पुराने सीएच-3ए ड्रोन को अपग्रेड कर बनाया गया है। इस ड्रोन को चीनी विमानन कंपनी चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन द्वारा विकसित और निर्मित किया गया है। सीएच-4 ड्रोन 30 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है। यह ड्रोन 115 किलो के बम से उड़ान भरने में सक्षम है। चीनी कंपनी ने सबसे पहले CH-4 ड्रोन को झुहाई एयरशो-2014 में प्रदर्शित किया था।
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