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पाकिस्तान में बलूचिस्तान की स्थिति…

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पाकिस्तानी युवकों के मुताबिक, बलूचिस्तान को पाकिस्तान की सरकार से बात करनी चाहिए, लेकिन इस बात से हम लोग इंकार नहीं कर सकते हैं कि 1971 में बांग्लादेश के हालात ऐसे ही थे।

बलूचिस्तान पर पाकिस्तान: बलूचिस्तान की निर्वासित सरकार की प्रधानमंत्री डॉ नायला कादरी हाल ही में भारत पहुंची और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संयुक्त राष्ट्र (UN) में समर्थन मांगा। उन्होंने भारतीय यूट्यूबर सना अमजद के साथ भी मुलाकात की और बलूचिस्तान में होने वाले जुल्मों के बारे में बात की। पाकिस्तान के बलूचिस्तान पर बात करते हुए एक युवक ने कहा कि अगर अपने इतिहास के बारे में बात करे तो जिस तरह के हालात आज बलूचिस्तान में है, ठीक वैसे ही हालात 1971 में बांग्लादेश के थे। उन्होंने इसके पीछे पाकिस्तानी आर्मी को जिम्मेदार ठहराया और बलूचिस्तान के स्थिति के पीछे आर्मी को दोष दिया।

बलूचिस्तान के हलाता 1971 के बांग्लादेश जैसे

1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता के लिए एक बड़ी स्वतंत्रता संग्राम हुआ था। बांग्लादेश की जनता ने पाकिस्तान से अपना अलगाववाद देखा और स्वतंत्रता की मांग की। इस संग्राम में बांग्लादेशी युवा, नागरिक और सैन्य तीनों ने अहम भूमिका निभाई। पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश के खिलाफ सख्त कार्रवाई की और इसमें अत्यधिक अत्याचार भी देखा गया। इस संघर्ष के दौरान दोनों पक्षों में नागरिक और सैन्य बलों के बीच संघर्ष हुआ था। अंततः 1971 में बांग्लादेश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई और बांग्लादेश एक अलग देश बन गया।

इसलिए, यह गलत है कि बांग्लादेश के लोग पाकिस्तानियों के साथ गलत करते थे। बांग्लादेश के अपने लोगों ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया था और उन्हें स्वतंत्रता मिली। इस तथ्य को समझकर हमें बांग्लादेश के इतिहास के प्रति सम्मान और समझदारी से उनके संघर्ष को समझना चाहिए।

बलूच लोगों पर अत्याचार

बलूचिस्तान की निर्वासित सरकार की प्रधानमंत्री नाएला कादरी ने दिए गए बयान में यह बात रखी है कि बलूचिस्तान के नेचुरल रिसोर्स को न केवल पाकिस्तान के लोग लूट रहे हैं, बल्कि चीन के लोग भी इसमें शामिल हैं और इसके फलस्वरूप बलूच लोगों पर अत्याचार हो रहा है। इसके अलावा, उन्होंने बलूचिस्तान में होने वाले जुल्मों के बारे में भी बात की है।

इस बयान से स्पष्ट होता है कि बलूचिस्तान के समर्थन में उठी जाए राष्ट्रों द्वारा इस विषय में गंभीरता से सोचने और संबोधित करने की आवश्यकता है। यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसमें संयुक्त राष्ट्र को सहयोग करते हुए समाधान ढूंढना चाहिए। इस संदर्भ में बलूचिस्तान के अधिकारों का प्रचार-प्रसार करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोगी रहना भारत के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

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