महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मद्देनजर PM नरेंद्र मोदी ने प्रचार अभियान की शुरुआत का दी है. उन्होंने धुले में एक चुनावी रैली को संबोधित किया.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धुले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए अपने प्रचार अभियान की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लोगों ने हमेशा उन्हें दिल से आशीर्वाद दिया है, और 2014 में भी यहां के लोगों ने उन्हें आशीर्वाद दिया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आप सभी को धुले और महाराष्ट्र के प्रति मेरे रिश्ते का पूरा अहसास है। जब भी मैंने महाराष्ट्र से कुछ मांगा, यहाँ के लोगों ने मुझे दिल से आशीर्वाद दिया। 2014 में जब मैं यहाँ आया था, मैंने आपसे महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनाने की अपील की थी, और आपने 15 साल के सियासी जाल को तोड़कर भाजपा को शानदार जीत दिलाई थी। आज एक बार फिर मैं धुले में हूँ और यहीं से महाराष्ट्र में चुनावी अभियान की शुरुआत कर रहा हूँ।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं आपको यह विश्वास दिलाता हूँ कि पिछले ढाई साल में जो महाराष्ट्र के विकास की गति मिली है, उसे किसी भी हाल में रोका नहीं जाएगा। अगले पांच वर्षों में राज्य की प्रगति नई ऊँचाइयों को छुएगी। महाराष्ट्र को जो सुशासन चाहिए, वह केवल महायुति सरकार ही प्रदान कर सकती है। वहीं दूसरी ओर, महा-अघाड़ी के गठबंधन की गाड़ी में न तो पहिए हैं, न ब्रेक, और ड्राइवर की सीट को लेकर भी आपस में झगड़ा हो रहा है।”
महाआघाड़ी पर साधा निशाना
प्रधानमंत्री मोदी ने धुले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “राजनीति में आने का हर किसी का अपना उद्देश्य होता है। हम जैसे लोग जनता की सेवा के लिए राजनीति में आए हैं, जबकि कुछ लोग सत्ता का इस्तेमाल सिर्फ जनता को लूटने के लिए करते हैं। जब महाअघाड़ी जैसे लोग सत्ता में आते हैं, जिनकी नीयत लूटने की होती है, तो वे विकास को रोकते हैं और हर योजना में भ्रष्टाचार फैलाते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “महाअघाड़ी की धोखाधड़ी से बनी सरकार के ढाई साल आपने देखे हैं। इन लोगों ने पहले सरकार को लूटा और फिर महाराष्ट्र की जनता को भी लूटने का काम शुरू कर दिया। इन्होंने मेट्रो परियोजनाओं को रोका, वधावन पोर्ट के काम में अड़चनें डाली। महाअघाड़ी के नेताओं ने हर उस योजना को रोका जो महाराष्ट्र के लोगों के भविष्य को उज्जवल बना सकती थी।”
प्रधानमंत्री मोदी ने “लाडकी बहन योजना” के बारे में भी बात की, जो उनकी सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए शुरू की थी। उन्होंने कहा, “कांग्रेस और उसके गठबंधन को यह योजना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रही है। महायुति सरकार की यह योजना महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुकी है, लेकिन कांग्रेस इसे रोकने के लिए लगातार साजिशें रच रही है।”
उन्होंने कहा, “कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने यह तय कर लिया है कि अगर उन्हें सत्ता मिली, तो वे इस योजना को बंद कर देंगे।”
महिलाओं को रहना होगा सतर्क
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “महाराष्ट्र की हर महिला को अघाड़ी वालों से सतर्क रहना चाहिए। ये लोग कभी भी नारी शक्ति को सशक्त होते हुए नहीं देख सकते। पूरा महाराष्ट्र देख रहा है कि कांग्रेस और अघाड़ी के लोग अब महिलाओं को गालियाँ देने लगे हैं। किस तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल हो रहा है, यह कोई भी महाराष्ट्र की माता-बहन माफ नहीं कर सकती।”
उन्होंने कहा, “मुझे गर्व है कि हमारी सरकार ने मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा दिया है। यह महाराष्ट्र के लोगों की दशकों पुरानी इच्छा थी। कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र और केंद्र दोनों जगह सरकारें चलाईं, लेकिन मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा देने की कोई जरूरत नहीं समझी। इन्होंने हमेशा मराठी भाषा के सम्मान की मांग को नजरअंदाज किया।”
आगे उन्होंने कहा, “भा.ज.पा. ने हमेशा ‘सबका साथ-सबका विकास’ की नीयत से काम किया है। हमारे संकल्प का प्रमुख हिस्सा आदिवासी समाज भी है, जो देश की आजादी और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे चुका है। लेकिन कांग्रेस और उसके साथियों ने कभी आदिवासी गौरव और स्वाभिमान पर ध्यान नहीं दिया।”
बीजेपी सरकार में बना आदिवासी मंत्रालय
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आदिवासी विरासत को न्याय मिलने में दशकों का समय लगा, लेकिन जब अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी, तब आदिवासी मंत्रालय का गठन किया गया। यह पहली बार था जब आदिवासी समाज के हितों और उनकी अपेक्षाओं को महत्व दिया गया। हमारी सरकार ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर ‘जनजातीय गौरव दिवस’ की शुरुआत की है, ताकि आदिवासी परंपराओं को सम्मान मिले। इस बार 15 नवंबर से अगले एक साल तक हम भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मनाएंगे।”
आरक्षण पर कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आजादी के समय बाबा साहेब अंबेडकर ने शोषितों और वंचितों को आरक्षण देने के लिए बहुत संघर्ष किया, लेकिन नेहरू जी ने इसका विरोध किया और किसी भी कीमत पर दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को आरक्षण देने से इनकार किया। बाबा साहेब ने बड़ी मुश्किल से दलितों और पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रावधान करवाया। इसके बाद इंदिरा गांधी ने भी वही रवैया अपनाया और आरक्षण के खिलाफ रुख रखा, ताकि एससी, एसटी और ओबीसी को सही प्रतिनिधित्व न मिल सके।”