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पेंडिंग केस पर क्या बोले सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़…

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मुख्य न्यायाधीश डी. य. चंद्रचूड़ ने कहा कि जिला स्तर पर न्यायिक कर्मियों के 28 प्रतिशत पद खाली हैं, जबकि गैर-न्यायिक कर्मचारियों के खाली पद 27 प्रतिशत हैं।

मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. य. चंद्रचूड़ ने देशभर की अदालतों में लंबित करीब 4.5 करोड़ मामलों के संदर्भ में कहा कि खाली पदों को शीघ्र भरना आवश्यक है। उन्होंने रविवार, 1 सितंबर 2024 को एक कार्यक्रम में न्यायिक सेवाओं के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक समेकित भर्ती प्रक्रिया की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय और राज्य-विशेष चयन की संकीर्णता से बाहर निकलने का समय आ गया है। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल थे, जिन्होंने पेंडिंग केस और तारीख-पर-तारीख की संस्कृति को बदलने पर जोर दिया।

CJI चंद्रचूड़ ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन पर बताया कि बड़ी संख्या में लंबित मामलों को सुलझाने के लिए कुशल कर्मियों को आकर्षित करना जरूरी है। उन्होंने भर्ती कैलेंडर को मानकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि खाली पदों को जल्दी भरा जा सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान में अदालतें 95 प्रतिशत मामलों का निपटारा कर रही हैं, लेकिन लंबित मामलों का समाधान अभी भी चुनौतीपूर्ण है। जिला स्तर पर 28 प्रतिशत न्यायिक कर्मियों और 27 प्रतिशत गैर-न्यायिक कर्मचारियों के पद खाली हैं, और अदालतों को अपनी क्षमता को 71 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक बढ़ाना होगा ताकि मामलों का निपटारा किया जा सके।

मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. य. चंद्रचूड़ ने अदालतों में खाली पदों को शीघ्र भरने की आवश्यकता पर बल दिया और बताया कि सम्मेलन में जजों के चयन मानदंड और रिक्तियों के लिए भर्ती कैलेंडर के मानकीकरण पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि न्यायिक सेवाओं में भर्ती के लिए क्षेत्रीय और राज्य-विशेष चयन की सीमाओं को पार कर राष्ट्रीय एकीकरण की दिशा में सोचना आवश्यक है।

सुप्रीम कोर्ट का अनुसंधान और योजना केंद्र राज्य न्यायिक अकादमियों के प्रशिक्षण मॉड्यूल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ एकीकृत करने के लिए एक श्वेत पत्र तैयार कर रहा है।

मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि कुछ राज्य न्यायिक अकादमियों के पास मजबूत पाठ्यक्रम हैं, जबकि अन्य नए न्यायाधीशों को कानून से पुनः जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करती हैं। न्यायिक प्रशिक्षण के लिए एक व्यवस्थित, राष्ट्रव्यापी पाठ्यक्रम तैयार करने और प्रगति की निगरानी के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा।

नए पाठ्यक्रम में आधुनिक प्रशिक्षण विधियां, विषयगत ढांचा, एकरूप प्रशिक्षण कैलेंडर, न्यायिक प्रशिक्षण में सूचना प्रौद्योगिकी का एकीकरण, राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी का पुनर्गठन और फीडबैक तथा मूल्यांकन प्रणाली की स्थापना शामिल होगी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालतों द्वारा न्याय प्रदान करना नागरिकों, विशेषकर कमजोर वर्ग के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सेवा है।

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