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फरीदाबाद में नवजात बच्ची को पिता ने झाड़ियों में फेंका…

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4 दिसंबर को फरीदाबाद के सेक्टर-59 में मलेरना रोड पर ठंडी झाड़ियों में एक नवजात बच्ची मिली थी. एक राहगीर ने घटना की सूचना पुलिस को दी।

दिल्ली-एनसीआर समाचार: एक दिलचस्प घटना ने दिल्ली के पास स्थित फरीदाबाद से सामने आई है, जिसने लोगों को आंसू छोड़ देने का कारण बना है। इससे यह स्पष्ट होता है कि कई बार उन चीजों का सामना करना पड़ता है जिनसे हम अपनी आँखें मोइस्ट कर लेते हैं। इस घटना ने उन अमानवीय पहलुओं को प्रकट किया है जिन्हें सभी को जानना चाहिए, ताकि यदि कोई ऐसा करता है, तो लोगों को उसके खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार हो।

इसका मामला फरीदाबाद से है, जहां चार दिसंबर को सेक्टर-59 में स्थित मलेरना सड़क के किनारे एक नवजात को ठंड में झाड़ियों में पाया गया। इस बात से आश्चर्य है कि उसे ने नहीं, बल्कि उसके पिता ने ही जन्म के बाद ही उसे मरने के लिए छोड़ दिया। ऐसे लोग जो बेटियों को जन्म नहीं देना चाहते, या फिर उन्हें जन्म के बाद ही छोड़ देते हैं, वे यह नहीं समझते कि ‘रोशनी सिर्फ चिरागों से ही नहीं होती, बेटियां भी घर में उजाला करती हैं’। जिस छोटी सी गुड़िया को सीने से लगाने का समय था, उसके पिता ने उसे प्यार करने की बजाय शायद जिन्दा रहने के लिए योग्य भी नहीं समझा।

राहगीर ने बच्ची को देखकर दी पुलिस को सूचना

उस राहगीर का कार्य भला है, जिसने जब वह वहां से गुजर रहा था, तो बच्ची की रोने की आवाज सुनी और जब उसने देखा कि एक नवजात बच्ची ठंड में बिना कपड़ों के झाड़ियों में पड़ी हुई है और सर्दी से कांप रही है। इस राहगीर ने तुरंत ही इसकी सूचना स्थानीय बल्लभगढ़ पुलिस को दी। इस सूचना पर, बल्लभगढ़ महिला थाने की प्रभारी इंस्पेक्टर गीता ने अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचकर बच्ची को अपने कब्जे में ले लिया। बच्ची के पैर पर अस्पताल का टैग था, जिस पर ‘बेबी ऑफ नीतू’ लिखा था।

बच्ची की मां ने लगाया ये आरोप

पुलिस टीम ने बच्ची के परिजनों की तलाश से पहले उसका इलाज कराना ज्यादा जरूरी माना, इसलिए उसे लेकर बादशाह खान अस्पताल पहुंची, जहां इलाज के बाद बच्ची की जान जाने से बची। इसी बीच, नवजात बच्ची की मां ने उसे तलाशते हुए पुलिस के पास पहुंचा दिया। पुलिस को पता चला कि बच्ची का पिता पवन ही उसे मारना चाहता था। महिला ने पुलिस को बताया कि पवन उसका दूसरा पति है। महिला के अनुसार, उसके पहले पति की मौत हो चुकी है, इसलिए वह पवन के साथ शादी कर करीब दो साल से जाजरू गांव में रह रही है। पेशे से पवन मजदूरी का काम करता है और बच्ची उसी की है।

ऑक्सीजन दिलाने की बजाय फेंका सड़क के किनारे

महिला ने बताया कि दो दिन पहले उसने बल्लभगढ़ के सरकारी अस्पताल में बच्ची को जन्म दिया था, जिसे ऑक्सीजन की जरूरत थी, इसलिए उसे बादशाह खान अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। पवन बच्ची को लेकर बादशाह खान अस्पताल के लिए निकला था, लेकिन रास्ते में बच्ची को फेंक दिया। महिला के बयान के आधार पर सेक्टर-58 थाना पुलिस ने आरोपी पिता पवन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है और उसकी तलाश में जुट गई है।

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