0 0
0 0
Breaking News

फाजिल और कामिल की डिग्री नहीं दे सकेंगे मदरसे…

0 0
Read Time:4 Minute, 23 Second

मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को अब तक अंडर ग्रेजुएशन के लिए “कामिल” और पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए “फाजिल” नाम से डिग्री दी जाती रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने 5 नवंबर, 2024 को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा अधिनियम 2004 को मान्यता देते हुए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है कि मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को अंडर ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की “कामिल” और “फाजिल” जैसी डिग्रियाँ नहीं दी जा सकेंगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ये डिग्रियाँ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के नियमों के खिलाफ हैं, और इस कारण से मदरसों को केवल 12वीं कक्षा तक की शिक्षा प्रदान करने की अनुमति दी गई है।

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुनवाई कर रही बेंच ने कहा कि मदरसा एक्ट राज्य विधानसभा की विधायी क्षमता के अंतर्गत है, लेकिन मदरसा एक्ट के अंतर्गत जो प्रावधान हायर एजुकेशन डिग्रियों को रेगुलेट करने का प्रयास करते हैं, वे असंवैधानिक हैं। इससे पहले, मदरसा बोर्ड “कामिल” के तहत अंडर ग्रेजुएशन और “फाजिल” के तहत पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्रियाँ प्रदान करता रहा है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने सुनवाई के दौरान यह तर्क दिया कि मदरसों द्वारा दी गई ये डिग्रियाँ न तो विश्वविद्यालय की डिग्री के बराबर हैं और न ही अन्य बोर्ड द्वारा पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रमों के समकक्ष। इसलिए, इन डिग्रियों के आधार पर छात्रों को सरकारी नौकरी पाने में कठिनाई होती है, और केवल ऐसे पदों के लिए योग्य होते हैं जहां हाई स्कूल या इंटरमीडिएट की योग्यता की आवश्यकता होती है।

क्या था इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला जो सुप्रीम कोर्ट ने पलटा?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 22 मार्च 2024 को यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार देते हुए कहा था कि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को सामान्य शिक्षा प्रणाली में शामिल करे। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को धार्मिक शिक्षा के लिए कोई विशेष बोर्ड बनाने का अधिकार नहीं है।

यह मामला अंशुमान सिंह राठौड़ द्वारा दायर याचिका पर आधारित था, जिसमें उन्होंने मदरसा बोर्ड कानून के खिलाफ सवाल उठाए थे। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अंजुमन कादरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मदरसा एक्ट को मान्यता तो दी है, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि मदरसों में केवल 12वीं कक्षा तक की शिक्षा दी जा सकेगी और हायर एजुकेशन के लिए दी जाने वाली डिग्रियाँ असंवैधानिक हैं। इस निर्णय से यह संकेत मिलता है कि मदरसों की शिक्षा प्रणाली को सामान्य शिक्षा के ढांचे में समाहित करने की दिशा में एक कदम बढ़ाया गया है, जो आगे चलकर धार्मिक और शैक्षिक विविधता को बनाए रखने में सहायक हो सकता है।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *