पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में छात्रों को लेकर दिए अपने बयान पर सफाई दी है। इससे पहले विपक्ष ने उन पर आरोप लगाया था कि वे छात्रों को डराने की कोशिश कर रही हैं।
सीएम ममता बनर्जी: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु डॉक्टरों के साथ हुए अत्याचार के मामले में न्याय की मांग को लेकर सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि एक एफआईआर (पहली सूचना रिपोर्ट) उन डॉक्टरों के भविष्य को प्रभावित कर सकती है।
ममता बनर्जी के इस बयान के बाद विपक्ष ने उन पर आरोप लगाया है कि वे छात्रों और डॉक्टरों को डराने की कोशिश कर रही हैं। विपक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री के बयान ने डॉक्टरों और छात्रों को धमकाने का संकेत दिया है। इस बीच, ममता बनर्जी ने अपने बयान की स्पष्टता को लेकर सफाई दी ।
CM ममता बनर्जी ने दी सफाई
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने भाषण को लेकर सोशल मीडिया पर फैलाए गए नकारात्मक प्रचार के खिलाफ सफाई दी है। उन्होंने कहा कि उनके भाषण को गलत तरीके से पेश किया गया है और उन्होंने मेडिकल छात्रों या उनके आंदोलनों के खिलाफ कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं की है। ममता बनर्जी ने स्पष्ट किया कि वे छात्रों के आंदोलन का पूरी तरह समर्थन करती हैं और उन्होंने कभी भी उन्हें धमकी नहीं दी, जैसा कि कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं।
ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि उनके बयान को बीजेपी और उनके समर्थक अपने राजनीतिक लाभ के लिए तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका निशाना बीजेपी पर था, जो केंद्र सरकार की मदद से राज्य में लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है और अराजकता फैलाने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने आगे कहा कि उनके द्वारा उपयोग किए गए शब्द “फोंश कारा” (जो श्री रामकृष्ण परमहंस देव की एक लाइन है) का अर्थ था कि कभी-कभी विरोध की आवश्यकता होती है, खासकर जब अपराध और आपराधिक घटनाएं होती हैं। उनका यह बयान उसी संदर्भ में था।
CM ममता बनर्जी ने अपने भाषण में कही थी ये बात
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की छात्र शाखा के एक कार्यक्रम में CM ममता बनर्जी ने कहा था, ‘मैं जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन का समर्थन करती हूं. वे विरोध कर रहे हैं क्योंकि उनके साथी के साथ इस तरह की घटना हुई है, लेकिन मैं आपसे काम पर वापस जाने की अपील करती हूं. सुप्रीम कोर्ट ने भी जूनियर डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की थी. यह याद रखना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कार्रवाई करना राज्य सरकार पर निर्भर है. हमने कार्रवाई नहीं की. अगर आपके खिलाफ एफआईआर हो गयी तो आपका भविष्य बर्बाद हो जायेगा. उसे पासपोर्ट या वीजा नहीं मिलेगा.’