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बिहार से JDU-RJD का सफाया हो जाएगा…

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भागलपुर में रविवार को पुल गिरा था, और इस घटना के बाद जांच के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, महागठबंधन सरकार और नीतीश कुमार को घेरने की कोशिश भी हो रही है।

पटना: रविवार को सुल्तानगंज, भागलपुर जिले में गंगा नदी पर निर्माणाधीन पुल गिर गया। पुल के पाया संख्या 10, 11 और 12 टूट गए हैं, जबकि पहले पिलर नंबर 5 भी गिर चुका था। इस घटना के बाद, पुल निर्माण की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहे हैं और सियासी विवाद भी प्रारंभ हो गया है। आरएलजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार (5 जून) को एक ट्वीट कर महागठबंधन सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला।

उपेंद्र कुशवाहा ने अपने ट्वीट में लिखा, “23 फरवरी 2014 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने इस निर्माणाधीन पुल का उद्घाटन किया था, जिसका खर्च 1710 करोड़ रुपये था। इस पुल का दूसरी बार धराम से गिरना और अनियमितता और भ्रष्टाचार की बांगी दर्शाने के बाद यह स्पष्ट है कि यह महागठबंधन और जेडीयू-आरजेडी गठबंधन/विलय का परिणाम है। बिहार के लोगों को इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और 2024-25 में ये समस्याएं निश्चित रूप से हल होगी। बिहार के लोग कब तक इनके खिलाफ चुपचाप रहेंगे, यह देखना होगा।”

बीजेपी के नेता भी उठा रहे हैं सवाल

रविवार को भागलपुर में पुल के गिरने के बाद, बिहार की राजनीति तेज हो गई है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने उसी दिन ट्वीट करके इस पर तंज कसते हुए कहा कि भागलपुर के पुल की तो मरम्मत हो गई, इतना काम किया गया कि पुल ही टूट गया।

इसे बताने के लिए, यह पुल निर्माण के दौरान ही दूसरी बार गिरा है। पहली बार 30 अप्रैल 2022 को आंधी तूफान के कारण पिलर नंबर 5 के सुपरस्ट्रक्चर का सेगमेंट गिर गया था। उस समय तेजस्वी यादव, विपक्ष के पक्ष में थे और उन्होंने बीजेपी-जेडीयू सरकार पर हमला भी किया था। अब तेजस्वी यादव पथ निर्माण विभाग के मंत्री हैं। इस पुल के बारे में कई बार विधानसभा में सवाल उठे हैं।

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