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बीजेपी के बहुमत न मिलने पर बोले सीपीआईएम नेता हन्ना मोल्ला…

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लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे बीजेपी के लिए उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे। वहीं, विपक्ष मजबूती के साथ सामने आया।

पोल परिणाम 2024 पर सीपीआईएम: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए चौंकाने वाले रहे। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार बीजेपी को बहुमत नहीं मिला। वहीं, विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A मजबूती के साथ सामने आया। हालांकि, एनडीए को बहुमत मिला और नरेंद्र मोदी को इसका नेता चुन लिया गया। इस संदर्भ में सीपीआईएम नेता हन्ना मोल्ला ने कहा कि यह नरेंद्र मोदी का “डिमोशन” है।

सीपीआईएम नेता ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा, “सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मोदी अब बीजेपी के नेता नहीं हैं, बल्कि एनडीए के नेता हैं। पहली बार उन्हें ‘मोदी, मोदी’ से एनडीए में आना पड़ा है। यह डिमोशन है और इसी के साथ वह सरकार बनाएंगे।”

सरकार गठन को लेकर बीजेपी की बैठक

इस बीच, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से सरकार गठन के प्रयास शुरू हो चुके हैं। केंद्रीय मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने गुरुवार को एक बैठक की, जिसमें आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया। यह बैठक बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर हुई।

पार्टी नेताओं के अनुसार, इस बैठक में भावी मंत्रिपरिषद के गठन में एनडीए के घटक दलों की भागीदारी सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई। एनडीए सांसदों की शुक्रवार को एक बैठक होने की संभावना है, जिसमें नरेंद्र मोदी को औपचारिक रूप से नेता चुना जाएगा। इस सप्ताह के अंत तक नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने की संभावना है।

बीते दिन हुई एनडीए की बैठक

गठबंधन सरकार के मुखिया के रूप में तीसरी बार शपथ लेने की तैयारी कर रहे नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें उन्हें सर्वसम्मति से अपना नेता चुना गया। इस बैठक में बीजेपी के सहयोगी दल जनता दल (यूनाइटेड) के नेता भी शामिल थे, जिन्होंने पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ सरकार गठन और उसमें अपनी भूमिका पर विचार-विमर्श किया।

जेडीयू ने इस मुद्दे पर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, बिहार में अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए वह कुछ प्रमुख मंत्री पदों की मांग कर रही है। पिछले कुछ सालों में राज्य में जेडीयू की राजनीतिक ताकत कमजोर हुई है और राज्य विधानसभा में वह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और बीजेपी के बाद तीसरे स्थान पर है। हालांकि, इस बार लोकसभा चुनाव में जेडीयू का प्रदर्शन अच्छा रहा है, और उसने 12 सीटें जीती हैं। तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) की 16 सीटों के बाद जेडीयू बीजेपी की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी है। नई सरकार के गठन के लिए बीजेपी को इन दोनों दलों पर निर्भर रहना होगा।

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