वक्फ संशोधन बिल पर आयोजित जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी की पहली बैठक हंगामे से भरी रही। बैठक के दौरान बीजेपी के दो सांसदों ने बिल के बारे में ऐसी टिप्पणियां कीं, जिनसे माहौल गरमा गया।
वक्फ संशोधन विधेयक पर जेपीसी की बैठक: वक्फ संशोधन बिल पर संसद की जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी (JPC) की पहली बैठक गुरुवार को हंगामे से भरी रही। बैठक के दौरान बीजेपी सांसद बृजलाल ने वक्फ बोर्ड के पास मौजूद जमीन को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने कहा कि वक्फ के पास इतनी जमीन है कि इससे ढाई कुवैत और डेढ़ बहरीन बन सकते हैं। इस बयान ने विपक्ष और अन्य संगठनों को नाराज कर दिया, जिन्होंने इसे गलत नैरेटिव मानते हुए हंगामा शुरू कर दिया।
बीजेपी सांसद मेधा कुलकर्णी ने भी विधेयक पर चर्चा के दौरान “लैंड जिहाद” का आरोप लगाया, जिस पर कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन ने कड़ी आपत्ति जताई। इसके बाद अन्य विपक्षी सांसदों ने नासिर का समर्थन करते हुए बीजेपी सांसदों को घेरने का प्रयास किया।
बैठक में असददुद्दीन ओवैसी के भाषण के दौरान भी विवाद बढ़ गया। बीजेपी सांसद अभिजीत गांगुली ने टिप्पणी की कि वक्फ की जमीन अगर नियमों के तहत सरकार को मिले तो कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। इस पर ओवैसी ने विरोध जताया, और विपक्ष ने भी हंगामा किया।
विपक्ष को रास नहीं आई ये तुलना
वक्फ संशोधन बिल पर जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी की बैठक में बीजेपी सांसद बृजलाल की टिप्पणी ने विवाद को जन्म दिया। उन्होंने वक्फ की जमीन की तुलना कुवैत और बहरीन से की, जिससे कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन ने पलटवार करते हुए कहा कि इस तरह के बयान गलत नैरेटिव गढ़ने की कोशिश हैं।
वर्तमान कानून के सेक्शन 40 पर सबसे ज्यादा विवाद है। इस प्रावधान के तहत, यदि वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति मानता है, तो वह उसे नोटिस देकर और जांच करके यह तय कर सकता है कि वह वक्फ का हिस्सा है या नहीं, और यह भी कि यह शिया वक्फ है या सुन्नी। इस फैसले के खिलाफ केवल ट्रिब्यूनल में अपील की जा सकती है। फरवरी 2023 में, तत्कालीन अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने इस प्रावधान को स्पष्ट करते हुए बताया था कि सेक्शन 40 के तहत, वक्फ बोर्ड के फैसले को ट्रिब्यूनल द्वारा रद्द या संशोधित किए बिना अंतिम माना जाएगा।