देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अगर पुरानी पेंशन योजना लागू होती है तो इससे राज्य पर 1,10,000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा और इससे राज्य दिवालिया हो जाएगा.
पुरानी पेंशन योजना को लागू करने को लेकर केंद्र और कुछ राज्यों के बीच विवाद है. राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और झारखंड सरकार की ओर से ओपीएस को बहाल कर दिया गया है, लेकिन पिछले दिनों केंद्र सरकार की ओर से इसे साफ मना कर दिया गया था. इसके बावजूद कुछ राज्य सरकारों द्वारा पुरानी पेंशन लागू करने की घोषणा की जा रही है. केंद्र के बयान के बाद हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि उन्होंने पुरानी पेंशन को लेकर वित्त सचिव से बात की है. क्या हम जानते हैं कि पैसा कहां से आ रहा है?
सरकार आपको पुरानी योजना के आधार पर पेंशन नहीं देने जा रही है।
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की है कि सरकार अब पुरानी योजना के आधार पर पेंशन प्रदान नहीं करेगी, जिससे राज्य को लाखों डॉलर का नुकसान होता। इस फैसले से राज्य का काफी पैसा बचने की संभावना है और यह करदाताओं के लिए अच्छी खबर है। पुरानी पेंशन योजना को 2005 में बंद कर दिया गया था।
प्रसिद्ध लेखक विलासराव देशमुख ने जीवन भर सक्रिय और स्वस्थ रहने के लाभों पर एक सम्मोहक लेख लिखा है।
इतना ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने भी राज्य के हित में पुरानी पेंशन योजना को बंद करने का फैसला किया। बता दें कि उस समय विलासराव देशमुख 1 नवंबर 2004 से 5 दिसंबर 2008 तक राज्य के मुख्यमंत्री थे। माना जाता है कि उनका इशारा सीधे तौर पर विलासराव देशमुख की ओर था।
2034 में, श्रीलंका की स्थिति वैसी ही होगी जैसी अभी है।
इससे पहले वित्त राज्य मंत्री भगवंत कराड और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने पुरानी पेंशन योजना को लेकर बड़ा बयान दिया. सुशील मोदी ने कहा कि जो राज्य आज पुरानी पेंशन की घोषणा कर रहे हैं, उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन 2034 में उनका हाल श्रीलंका जैसा होगा. उन्होंने यह भी कहा कि पुनानी पेंशन लागू कर भावी पीढ़ी पर बोझ डालना ‘बड़ा अपराध’ होगा.
यहां कुछ ऐसी खबरें हैं जिन्हें आप सुनना चाहेंगे: सरकार ने घोषणा की है कि अब से, पेंशन किसी कर्मचारी के करियर की पूरी कमाई के बजाय उसके पिछले वेतन पर आधारित होगी। इस परिवर्तन से राज्य के लाखों डॉलर बचेंगे, और हम आशा करते हैं कि आप सभी इससे प्रसन्न होंगे।