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भारतीयों के खानपान को लेकर एक नई रिपोर्ट आई…

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रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में 2011-12 से 2022-23 के बीच उपभोग व्यय में 151% की वृद्धि हुई है। इसी अवधि के दौरान, तमिलनाडु में उपभोग व्यय में लगभग 214% की वृद्धि देखी गई, जबकि सिक्किम में यह वृद्धि 394% तक पहुंच गई है।

नई रिपोर्ट के अनुसार, भारतीयों के खानपान पर खर्च में गिरावट आई है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) की रिपोर्ट के अनुसार, 1947 के बाद पहली बार औसत घरेलू खर्च आधे से भी कम हो गया है। रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है ‘भारत के खाद्य उपभोग और नीतिगत प्रभाव में बदलाव: घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23 और 2011-12 का एक व्यापक विश्लेषण’, में यह भी कहा गया है कि पैक्ड फूड कंजप्शन में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भोजन पर कुल घरेलू खर्च की हिस्सेदारी में काफी कमी आई है। यह पहली बार है जब भोजन पर औसत घरेलू खर्च कुल मासिक खर्च के आधे से भी कम हो गया है, जो एक महत्वपूर्ण प्रगति मानी जा रही है।

रिपोर्ट में घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23 और 2011-12 के बीच तुलना का विस्तृत विश्लेषण किया गया है। इसके अनुसार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में परिवारों के औसत मासिक प्रति व्यक्ति व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल में ग्रामीण क्षेत्रों में 2011-12 से 2022-23 के बीच उपभोग व्यय में 151% की वृद्धि हुई है, तमिलनाडु में यह वृद्धि लगभग 214% और सिक्किम में 394% की हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण परिवारों में उपभोग व्यय की वृद्धि शहरी परिवारों की तुलना में अधिक रही है। ग्रामीण परिवारों के मामलों में खपत में 164% की वृद्धि हुई है, जबकि शहरी परिवारों में यह वृद्धि 146% रही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अनाज पर खर्च की हिस्सेदारी में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में गिरावट आई है, लेकिन यह गिरावट विशेष रूप से नीचे के 20% परिवारों में अधिक देखी गई है।

रिपोर्ट का कहना है कि इस रुख के पीछे सरकार की खाद्य सुरक्षा नीतियां हो सकती हैं, जो देश के सभी राज्यों में मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने का काम कर रही हैं। इसके तहत, अनाज की खपत घट रही है, और कृषि नीतियों को अनाज से परे तैयार करने की जरूरत बताई गई है। इसके साथ ही, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसी नीतियां किसानों के कल्याण पर सीमित प्रभाव डाल रही हैं।

रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि प्रोसेस्ड और पैक्ड फूड पर घरेलू खर्च की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह वृद्धि सभी क्षेत्रों और उपभोग वर्गों में देखी गई है, लेकिन देश के शीर्ष 20% परिवारों और शहरी क्षेत्रों में यह अधिक है। रिपोर्ट का कहना है कि पैक्ड फूड की बढ़ती खपत संभवतः स्वास्थ्य परिणामों को प्रभावित कर सकती है और इसके पोषण संबंधी प्रभावों को समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।

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