एक पुजारी को सिंगापुर के हिंदू मंदिर में ज्वेलरी को गिरवी में रखने के आरोपों के कारण जेल की सजा हुई। यह साल 2020 में किए गए ऑडिट के द्वारा पता चला।
सिंगापुर पुजारी: सिंगापुर के श्री मरिअम्मन मंदिर में एक पुराने हिंदू मंदिर के मुख्य पुजारी को ज्वेलरी को गिरवी में रखने के आरोपों में मंगलवार को 6 साल की कैद की सजा सुनाई गई। इस संबंध में सिंगापुर की एक स्थानीय मीडिया की खबर ने जानकारी प्रदान की है। आरोपी पुजारी का नाम कंडासामी सेनापति है और उन्हें दिसंबर 2013 से श्री मरिअम्मन मंदिर में पुजारी के रूप में नियुक्ति मिली थी। पुजारी ने 2020 में 30 मार्च को इस्तीफा दे दिया था।
कोविड के दौरान अपराध का हुआ खुलासा
सिंगापुर के चैनल न्यूज एशिया की खबर के मुताबिक, सेनापति ने धोखाधड़ी के दो आरोपों और विदेश में हासिल की गई धनराशि को भेजने के दो आरोपों को स्वीकार किया है। सजा के दौरान अन्य छह आरोपों पर भी विचार किया गया है। यह खुलासा कोविड-19 महामारी के दौरान 2020 में हुआ।
सेनापति ने 2016 में ज्वेलरी को गिरवी में रखना शुरू किया था। बाद में उन्होंने मंदिर की अन्य ज्वेलरी को भी गिरवी में रखकर इससे हासिल किए गए धन का उपयोग करके पहले से गिरवी में रखी गई ज्वेलरी को वापस कर दिया।
172 दफा मंदिर से सोने के 66 ज्वेलरी गिरवी रखे
सिंगापुर की स्थानीय खबरों में रिपोर्ट किया गया है कि सेनापति ने 2016 में ही मंदिर से सोने के 66 ज्वेलरी को 172 बार गिरवी पर रखा था। उन्होंने 2016 से 2020 तक कई बार इसी तरह की कार्रवाई की। सेनापति को इन ज्वेलरी की गिरवी रखने के लिए दुकानों से 2,328,760 सिंगापुरी डॉलर मिले, जिनमें से कुछ राशि को उन्होंने अपने बैंक खाते में जमा किया और लगभग 141,000 सिंगापुरी डॉलर को भारत भेजा।
सिंगापुर में मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी चरम पर थी और उस समय गैर-जरूरी गतिविधियों पर रोक लगाई गई थी जिसे सर्किट ब्रेकर नियम कहा जाता है। ऑडिट के दौरान देरी होने के कारण, सेनापति ने मंदिर की फाइनेंशियल टीम से कहा कि उसके पास खजाने की चाबी नहीं है और शायद उसने भारत की यात्रा के दौरान अपने घर पर चाबी भूल जाई हो। हालांकि, ऑडिट पर सदस्यों के दबाव के बाद, सेनापति ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए माना कि उन्होंने ज्वेलरी को गिरवी रखा है।