भारतीय सेनाओं ने असम राइफल्स, मणिपुर पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के सहयोग से एक संयुक्त अभियान चलाया। इस अभियान में उन्होंने भारी मात्रा में हथियार और युद्ध सामग्री बरामद की।
मणिपुर हिंसा: मणिपुर के काकचिंग और थौबल जिलों में सुरक्षाबलों ने अलग-अलग तलाशी अभियानों के दौरान हथियार और गोला-बारूद बरामद किए हैं। पुलिस ने गुरुवार (24 अक्टूबर) को यह जानकारी दी।
सुरक्षाबलों ने काकचिंग के वबागई क्षेत्र में एक फार्म क्षेत्र से एक बिना मैगजीन के आईएनएसएएस राइफल, एक नौ एमएम पिस्तौल, तीन हथगोले, तीन कार्बाइन मैगजीन, चार नौ एमएम गोले और अन्य सामग्री बरामद की।
थौबल जिले के क्वार्क मरिंग में एक अन्य अभियान में एक देसी नौ एमएम पिस्तौल, एक एसबीबीएल बंदूक, दो हथगोले, एक आईएनएसएएस मैगजीन, तीन 12 बोर कारतूस और एक रेडियो सेट मिला है।
मणिपुर में पिछले साल मई से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जारी हिंसा में करीब 200 लोगों की जान जा चुकी है और बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हो गए हैं। इस हिंसा और सुरक्षा चुनौतियों के बीच भारतीय सेना, असम राइफल्स, मणिपुर पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां लगातार खुफिया आधारित संयुक्त अभियान चला रही हैं। इन अभियानों का उद्देश्य राज्य में शांति बहाल करना और उग्रवादी गतिविधियों को नियंत्रित करना है, जिसके तहत बड़ी मात्रा में हथियार और युद्ध सामग्री बरामद की गई है।
कुकी और मैतेई में विवाद का कारण
कुकी और नगा समुदाय पारंपरिक रूप से एक-दूसरे का विरोध करते आ रहे हैं। माना जाता है कि कुकी को मणिपुर की पहाड़ियों में मैतेई राजाओं द्वारा बसाया गया था, ताकि वे इंफाल घाटी में मैतेई और घाटी पर आक्रमण करने वाले नागाओं के बीच एक बफर के रूप में कार्य कर सकें।
आज इन दोनों समुदायों के बीच संघर्ष का मुख्य कारण आरक्षण है। पहाड़ियों में रहने वाले कुकी समुदाय को सरकार की अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल किया गया है, जबकि मैतेई समुदाय ऐसा नहीं है। इसी कारण से मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त करने की मांग कर रहा है। इसके साथ ही कुकी और नगा समुदाय का आरोप है कि विकास के मामले में अधिकांश लाभ मैतेई समुदाय को ही मिलता है।