बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने बताया कि 5 जून को सोमवार की सुबह इंफाल पश्चिम जिले के मणिपुर में हथियारबंद दो गुटों के बीच गोलीबारी हुई, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए।
मणिपुर हिंसा: मणिपुर राज्य में हिंसा के बढ़ते हुए मामलों के कारण, जहां हर दूसरे दिन नई घटनाएं सामने आ रही हैं, इंटरनेट की प्रयोग सीमा लगाई गई है। हालांकि, इसके बावजूद भी तनावपूर्ण माहौल जारी है, और मणिपुर सरकार ने शनिवार, 10 जून तक इंटरनेट पर पाबंदी लगाने का निर्णय लिया है। पहले भी 3 मई को हिंसा के बाद इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया गया था, और अब इसे आगे बढ़ाया गया है।
10 जून तक इंटरनेट बंद
मणिपुर सरकार ने एक आदेश जारी किया है जिसमें बताया गया है कि इंटरनेट पर पाबंदी 10 जून को शाम 3 बजे तक जारी रहेगी। इसके अलावा, हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में निपटने के लिए मणिपुर राज्य के साथ-साथ खासकर हिंसा प्रभावित इलाकों में भारी सुरक्षा बलों का तैनात किया गया है। इसके अतिरिक्त, मणिपुर पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय सुरक्षा बलों की भी कई टुकड़ियां मौजूद हैं। इसके साथ ही, राज्य सरकार ने उपद्रवियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की छूट दी गई है।
सोमवार को भी हुई हिंसा
हालांकि मणिपुर में सख्ती के बावजूद हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। सोमवार, 5 जून की सुबह, मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले के कांगचुप इलाके में हथियारबंद लोगों के बीच गोलीबारी हुई, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए। पुलिस ने बताया कि यह घटना कांगचुप इलाके के सेरोउ में हुई, जहां दो समूहों के बीच गोलीबारी हुई थी। घायलों को इंफाल के एक अस्पताल में भर्ती किया गया है और उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
क्यों हो रही है हिंसा
यह विवाद दो समुदायों के बीच उठा हुआ है। मैतई समुदाय मणिपुर का सबसे अधिकारित और जनसंख्या वाला समुदाय है, जो अधिकांशतः शहरों में बसा हुआ है। वहीं, कुकी और नगा समुदाय पहाड़ी क्षेत्रों में आदिवासी लोगों के रूप में रहते हैं। मैतई और कुकी समुदाय के बीच अपने हकों और अधिकारों के मुद्दे पर टकराव होता है। यह विवाद और बढ़ गया जब हाईकोर्ट ने मैतई समुदाय को एसटी (विशेष आर्थिक वर्ग) का दर्जा देने के निर्देश दिए। मई से ही राज्य में हिंसा तेज़ हो गई है, जिसमें अब तक लगभग 70 लोगों की मौत हो चुकी है।