मणिपुर राज्य में हिंसा के बीच एक अभीख्यात अग फैल रही है। यह हिंसा तीन मई से शुरू हुई है और अब तक लगभग सौ लोगों की मौत हो चुकी है।
मणिपुर हिंसा अपडेट: मणिपुर में हिंसा की स्थिति धीरे-धीरे सुधारती दिख रही है, यह पिछले महीने शुरू हुई थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अपील के पश्चात् मणिपुर के विभिन्न क्षेत्रों से लोगों ने 140 हथियारों को सरेंडर कर दिया है। इन हथियारों में एसएलआर 29, कार्बाइन, एके, इंसास राइफल, इंसास एलएमजी, .303 राइफल, 9 एमएम पिस्टल, .32 पिस्टल, एम16 राइफल, स्मोक गन और आंसू गैस, स्थानीय निर्मित पिस्तौल, स्टन गन, संशोधित राइफल, जेवीपी और जेवीपी ग्रेनेड लांचर शामिल हैं।
क्या कहा था अमित शाह ने?
अमित शाह ने अपने दौरे के दौरान सरेंडर नहीं करने पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी। उन्होंने मणिपुर के हिंसाग्रस्त क्षेत्रों का तीन दिनों तक दौरा किया था और राज्य के कैबिनेट मंत्रियों सहित सभी समुदायों के साथ बैठक की थी। उन्होंने सभी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी और कहा था कि अफवाहों पर ध्यान न दें, क्योंकि राज्य में स्थिति ठीक है। इसके बाद से लोगों ने बड़ी संख्या में हथियार सरेंडर कर दिए थे।
कैसे शुरू हुई थी मणिपुर हिंसा?
मणिपुर में यह हिंसा दो जनजातियों, नगा-कुकी और मैतेई, के बीच हो रही है। 3 मई को, ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर’ (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ का आयोजन किया, जिसके बाद राज्य में हिंसा की शुरुआत हुई। इस मार्च में, आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों के बीच झड़प हुई, जहां मैतेई समुदाय ने जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
अमित शाह ने बुधवार (31 मई) को कुकी और मैतेई समुदाय के राहत शिविरों में जाकर स्थिति का जायजा लिया और लोगों को मदद का आश्वासन दिया। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी चेतावनी दी कि अवैध तरीके से हथियार और गोला-बारूद रखने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।