ईडी के प्रतिनिधि एएसजी राजू ने कहा कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ ऐसे सबूत मौजूद हैं जो दर्शाते हैं कि वे आबकारी नीति घोटाले में सीधे संलिप्त हैं। उनकी गिरफ्तारी बिना ठोस आधार के नहीं की गई है।
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार (6 अगस्त, 2025) को सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया। ईडी ने दावा किया कि उसके पास ऐसे दस्तावेज हैं जो दिखाते हैं कि सिसोदिया की दिल्ली आबकारी नीति में गहरी संलिप्तता है।
ईडी की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने जस्टिस भूषण रामाकृष्णन गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की बेंच को बताया कि यह मामला पूरी तरह से फर्जी नहीं है, क्योंकि कई सबूत संकेत देते हैं कि सिसोदिया एक्साइज पॉलिसी से जुड़े धनशोधन मामले में सीधे संलिप्त हैं।
सुनवाई के दौरान, सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सीबीआई और ईडी की कार्यवाही में देरी हो रही है। सिंघवी ने बताया कि इन मामलों में कुल 493 गवाह और 69,000 पेज के दस्तावेज हैं। उन्होंने न्यायालय से पूछा, “मुझे 17 महीने बाद भी जेल में क्यों रहना चाहिए? यह स्वतंत्रता का बड़ा सवाल है।”
सिंघवी की दलीलों का जवाब देते हुए एएसजी राजू ने कहा, “मेरे पास इस मामले में सिसोदिया की गहरी संलिप्तता को साबित करने वाले दस्तावेज हैं। यह नहीं है कि वह निर्दोष हैं और उन्हें बिना वजह गिरफ्तार किया गया है।” राजू ने यह भी कहा कि जांच एजेंसियों की ओर से इन मामलों में कोई देरी नहीं की गई है, और आरोपियों ने उन दस्तावेजों का अवलोकन करने में पांच महीने का समय बर्बाद किया जो मुकदमे के लिए प्रासंगिक नहीं थे।
मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी 2023 को सीबीआई ने शराब नीति घोटाले में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था, और ईडी ने 9 मार्च 2023 को उन्हें धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था। सिसोदिया ने 28 फरवरी 2023 को दिल्ली के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। कोर्ट में दलीलें मंगलवार को भी जारी रहेंगी।