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मांझी का मन डोल रहा है? ले सकते हैं बड़ा फैसला…

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जीतन राम मांझी ने 2 जून को व्यक्त किया कि उन्हें 2024 के चुनाव में पांच सीटों की जरूरत है और वे उन पांच सीटों के लिए तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उनके विधायक अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं कर रहे हैं।

पटना: बिहार में महागठबंधन सरकार है जिसमें सात पार्टियां शामिल हैं, और इस गठबंधन में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा पार्टी भी शामिल है. बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपने कुनबे को मजबूत करने के लिए महागठबंधन के छोटे-छोटे दलों को अपने पास खींचने में जुटी है. वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी ने 25 जुलाई को एक बड़ी घोषणा करने की तैयारी की है, जिससे उम्मीद है कि वे एनडीए का समर्थन करेंगे. उपेंद्र कुशवाहा ने पहले ही नीतीश कुमार से अपनी दूरी बना ली है और वे भी एनडीए का समर्थन कर सकते हैं. महागठबंधन में शामिल जीतन राम मांझी के मन में भी संदेह है और उन्हें सियासी गलियारों में कई कारण बताए जा रहे हैं।

कयास के पीछे हैं कई कारण

दरअसल, विपक्षी एकता की एक बैठक 23 जून को पटना में होने वाली है, लेकिन उसमें जीतन राम मांझी को बुलाया नहीं गया है। जीतन राम मांझी ने कई बार अपने बयान बदले हैं और कई बार नीतीश सरकार के खिलाफ भी बयान दिए हैं। वे दो जून को कह चुके हैं कि वे 2024 के चुनाव में पांच सीटें चाहते हैं और उन पांच सीटों पर तैयारी कर रहे हैं। जीतन राम मांझी ने मीडिया के माध्यम से यह भी बताया है कि वे बहुत से लोगों को बुला रहे हैं और उनके पास वोट बैंक है। उनका मकसद महागठबंधन को आगाह करना है।

पिछले बुधवार (7 जून) की शाम को जीतन राम मांझी ने अपने सभी विधायकों के साथ नीतीश कुमार से मिलने के लिए गए। और उन्होंने पिछले गुरुवार को राज्यपाल से मिलने के बाद एक नया बयान दिया है कि अगर मुझे लोकसभा में एक भी सीट नहीं मिलती है, तो भी मैं नीतीश कुमार के साथ रहूंगा। उन्हें विपक्षी एकता की बैठक में नहीं बुलाया गया है, लेकिन उनके लिए इसमें कोई समस्या नहीं है।

मांझी बोले- हमारे विधायकों का काम नहीं होता

जीतन राम मांझी ने राज्यपाल से मिलने के बाद बिहार की शिक्षा व्यवस्था और भ्रष्टाचार को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने बताया कि शेड्यूल कास्ट में कई जातियां हैं जिनकी शिक्षा दर 15 प्रतिशत से नीचे है। उन्होंने शिक्षा में सुधार की मांग की है और बिहार की शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से खराब बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि वे नीतीश कुमार से मिलने आवास पर गए थे क्योंकि उनके विधायकों की बात अधिकारियों द्वारा नहीं सुनी जाती है। उनके क्षेत्र में भी काम नहीं हुआ था और उन्होंने चार विधायकों के साथ मिलकर इस बारे में बात की थी।

उन्होंने भागलपुर में पुल गिरने के मामले पर भी सरकार पर हमला किया है और उन्होंने कहा है कि एस्टीमेट घोटाले की बात पहले भी की गई थी और वह आज भी मौजूद है। उन्होंने कहा है कि कई बार 100 रुपये के काम के लिए 1000 रुपये का टेंडर होता है। इसके अलावा, उन्होंने नीतीश सरकार को मीडिया के माध्यम से ध्यान देने की अपील भी की है। वे नीतीश कुमार के साथी योजनाओं में गड़बड़ी के बारे में भी बात कर चुके हैं। पहले भी जीतन राम मांझी ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी।

हम प्रवक्ता ने कहा- अब त्याग नहीं हो सकता

जीतन राम मांझी 23 जून से पहले बड़ा फैसला ले सकते हैं या नहीं, इस बारे में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्याम सुंदर शरण ने कोई चर्चा की जानकारी नहीं दी है। उन्होंने यह कहा है कि हमें भी सम्मान मिलना चाहिए और वे लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात कर रहे हैं। वे महागठबंधन में पहले भी त्याग किए हैं, लेकिन अब वे त्याग नहीं कर सकते हैं।

श्यामसुंदर शरण ने यह भी बताया है कि उनकी पार्टी पांच सीटों की मांग कर रही है, जिसमें राज्यसभा सीट भी शामिल है। महागठबंधन के पास 16 राज्यसभा सीटें हैं, लेकिन उन्हें कोई भागीदारी नहीं मिली है, इसलिए महागठबंधन के सभी नेताओं को इस मामले पर निर्णय लेना पड़ेगा। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा कोर कमेटी की बैठक आयोजित की गई है और उसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जिसमें बड़े निर्णय लिए जा सकते हैं।

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