जगन मोहन रेड्डी और उनकी बहन वाईएस शर्मिला के बीच एक बार फिर से विवाद तब उभर कर आया है जब एक कंपनी के शेयरों के ट्रांसफर को लेकर दोनों के बीच तनाव बढ़ गया है। वाईएस शर्मिला ने इस मुद्दे पर जगन मोहन रेड्डी को एक पत्र लिखा है।
आंध्र प्रदेश की राजनीति: सितंबर 2024 में वाईएस शर्मिला द्वारा अपने भाई जगन मोहन रेड्डी को लिखे गए पत्र में उन्होंने अपने दिवंगत पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी (YSR) के निर्देशों का हवाला देते हुए अपनी चिंताएं व्यक्त कीं। उन्होंने पत्र में याद दिलाया कि उनके पिता ने स्पष्ट रूप से कहा था कि परिवार की सभी संपत्तियां, जो उनके जीवनकाल में परिवार के संसाधनों से अर्जित की गईं, चारों पोतों के बीच समान रूप से बांटी जानी चाहिए। शर्मिला ने लिखा कि उस समय जगन मोहन ने पिता की बात से सहमति जताई थी और वचन दिया था कि वे इस निर्देश का पालन करेंगे। हालांकि, पिता के निधन के बाद, उन्होंने इस वचन को निभाने से इनकार कर दिया है।
इस पत्र में शर्मिला ने यह भी जोर दिया कि उनके दोनों बच्चों का भी साक्षी मीडिया ग्रुप, भारती सीमेंट्स और अन्य व्यवसायों में अधिकार है, क्योंकि ये संपत्तियां उनके पिता के जीवनकाल में परिवार के संसाधनों से अर्जित की गई थीं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “मेरे और मेरे बच्चों का इन संपत्तियों पर दावा है और आप इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते।”
जगन का जवाब: संपत्ति स्व-अर्जित
अगस्त 2024 में जगन मोहन रेड्डी ने अपनी बहन वाईएस शर्मिला को एक पत्र लिखकर अपनी स्थिति स्पष्ट की थी, जिसमें उन्होंने बताया कि उनके पिता, वाईएस राजशेखर रेड्डी, ने अपने जीवनकाल में ही परिवार की सभी संपत्तियों का निष्पक्ष बंटवारा कर दिया था। जगन ने लिखा, “हमारे पिता ने अपने जीवनकाल में जो भी संपत्तियां खरीदी थीं, उनका उचित बंटवारा कर दिया था। इसके अलावा, मैंने अपनी मेहनत और पूंजी से कई व्यवसाय स्थापित किए हैं, जो किसी पारिवारिक संपत्ति से संबंधित नहीं हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने अपनी बहन के प्रति प्रेम और स्नेह के कारण कुछ संपत्तियां उनके नाम करने की योजना बनाई थी।
जगन मोहन रेड्डी ने यह भी स्पष्ट किया था कि पिछले एक दशक में वाईएस शर्मिला को लगभग 200 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनकी मां विजयम्मा के जरिए दिए गए थे। उन्होंने लिखा, “शर्मिला, मैं हमेशा तुम्हारे लिए संपत्तियों को स्थानांतरित करने के लिए तैयार था, लेकिन कानूनी अड़चनों के कारण यह संभव नहीं हो सका।”
इस पारिवारिक विवाद ने कानूनी रूप तब लिया जब जगन ने अपनी बहन और मां के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में याचिका दायर की। यह मामला सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड में शेयर आवंटन को लेकर है, जिसमें जगन और उनकी पत्नी वाईएस भारती ने आरोप लगाया है कि 2019 में हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (MoU) के बाद शेयर वितरण में अनियमितताएं हुई हैं।
जगन मोहन रेड्डी का दावा है कि यह संपत्ति उनकी स्व-अर्जित है और उनके पिता की छोड़ी गई विरासत का हिस्सा नहीं है। वहीं, शर्मिला और उनकी मां विजयम्मा का कहना है कि संपत्ति का बंटवारा पिता की इच्छा के अनुसार होना चाहिए। NCLT ने इस मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर 2024 के लिए तय की है।
राजनीतिक मतभेदों से बढ़ा विवाद
इस संपत्ति विवाद के पीछे जगन मोहन रेड्डी और उनकी बहन वाईएस शर्मिला के बीच चले आ रहे पुराने राजनीतिक मतभेदों की भी अहम भूमिका है। जहां शर्मिला ने तेलंगाना में अपनी अलग पार्टी बनाई, वहीं जगन आंध्र प्रदेश में अपनी पार्टी के मुखिया हैं। यह राजनीतिक विभाजन अब उनके पारिवारिक रिश्तों को भी प्रभावित कर रहा है।
वाईएसआर परिवार, जो आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, का यह विवाद अब केवल संपत्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें भावनात्मक और राजनीतिक पहलू भी गहराई से जुड़े हुए हैं। जगन ने कोर्ट का सहारा लेकर अपनी कानूनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश की है, जबकि शर्मिला ने अपने पत्रों में पिता की इच्छाओं का जिक्र कर पारिवारिक संपत्तियों पर अपना हक जताया है। यह मतभेद अब और गहरा होता जा रहा है, जिससे जगन मोहन रेड्डी को राजनीतिक नुकसान होने की भी आशंका है।