सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में मिशन रोजगार के अंतर्गत आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर, उन्होंने ‘पैरामेडिक्स और स्टाफ नर्स’ को स्वास्थ्य सेवाओं की ‘रीढ़ की हड्डी’ बतायी है।
लखनऊ समाचार: सीएम योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंगलवार को मिशन रोजगार के अंतर्गत आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘पैरामेडिक्स और स्टाफ नर्स’ (अर्धचिकित्साकर्मी) प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के ‘रीढ़ की हड्डी’ हैं। उन्होंने आगे कहा कि मरीजों के साथ उनका व्यवहार ऐसा होना चाहिए कि ठीक होने के बाद वे उन्हें हमेशा याद रखें।
मुख्यमंत्री ने मिशन रोजगार के तहत निष्पक्ष और पारदर्शी चयन प्रक्रिया के माध्यम से चयनित 278 सहायक आचार्यों, 2142 स्टाफ नर्स, 48 आयुष चिकित्सा शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरित किये। एक सरकारी बयान के अनुसार उन्होंने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा को और बेहतर बनाने के लिए आपातकालीन एंबुलेंस सेवा के अंतर्गत 674 एम्बुलेंस और 81 ‘एडवांस लाइफ सपोर्ट’ (एएलएस) एम्बुलेंस को हरी झंडी भी दिखाई।
स्वास्थ्य सेवाओं पर काम कर रही प्रदेश सरकार
मुख्यमंत्री ने चिकित्सा शिक्षा से जुड़े व्याख्याताओं, सहायक प्रोफेसरों, एसोसिएट प्रोफेसरों, और महाविद्यालयों के प्राचार्यों से नियमित रूप से ओपीडी में बैठने की अपील की और कहा कि ‘आप जिन मरीजों को देखते हैं, उनका केस स्टडीज तैयार कीजिए और चिकित्सा शिक्षा में सक्रियता से अनुसंधान को बढ़ावा दीजिए.’
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में पिछले साढ़े छह वर्षों में उत्तर प्रदेश ने अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को काफी बेहतर किया है. उनका कहना था कि 1947 से 2017 तक प्रदेश में केवल 12 मेडिकल कॉलेज बन पाए थे, जबकि आज उत्तर प्रदेश में 65 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें कई क्रियाशील भी हो चुके हैं।
पारंपरिक चिकित्सा सेवाओं को मिला बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने रायबरेली और गोरखपुर के एम्स के चालू होने का उल्लेख करते हुए कहा कि आज प्रदेश में एलोपैथिक से लेकर पारंपरिक चिकित्सा सेवाओं को भी बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि जाति के आधार पर विलाप करने वाले लोग समाज और देश को कमजोर करते हैं और इन्हें चेहरा उत्तरने का अवसर नहीं मिलता है। उन्होंने कहा कि 2017 से पहले इंसेफेलाइटिस से होने वाली मौतों ने उनके चेहरे पर दाग लगाए रखे थे।
उन्होंने बताया कि पिछले 40 वर्षों में इंसेफेलाइटिस से 50,000 से अधिक बच्चों की मौतें हो गई थीं, लेकिन आज इंसेफेलाइटिस पूरी तरह से नियंत्रित है। उन्होंने कहा कि जाति-जाति विवादों में लिपटे रहने वाले लोग वोट बैंक की राजनीति करते रहे, जो उनकी संवेदनहीनता को प्रदर्शित करती है। उन्होंने आज उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस को पूरी तरह से नियंत्रित करने पर गर्व किया।
उन्होंने कहा कि 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में विकास की बातें सुनना दुर्भाग्यपूर्ण था, और वहां के लोगों को अपनी पहचान में समस्या आती थी। इसके बाद के साढ़े छह वर्षों में, उनकी सरकार ने कई कार्यों के माध्यम से प्रदेश को सुधारा है, और आज लोग अपनी पहचान छुपाने की आवश्यकता महसूस नहीं करते, बल्कि उत्तर प्रदेश के होने पर गर्व महसूस करते हैं।