भारतीय तोप के गोलों के निर्यात को लेकर दुनिया भर में हलचल मच गई है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, “मेड इन इंडिया” तोप के गोले यूरोप के माध्यम से यूक्रेन पहुंच गए हैं, जिससे कई सवाल उठ रहे हैं।
भारत में निर्मित शैल: रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास युद्ध के चलते वैश्विक स्तर पर हथियारों की मांग में वृद्धि हुई है। अमेरिका और नाटो देश यूक्रेन को पर्याप्त मात्रा में हथियार नहीं दे पा रहे हैं, जबकि इजरायल भी भारी गोला-बारूद की कमी से जूझ रहा है। इस बीच, रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत द्वारा पश्चिमी देशों को बेचे गए तोप के गोले अब यूक्रेन में पहुंच गए हैं, जिससे रूस नाराज हो गया है।
रूस ने इस मुद्दे को कम से कम तीन बार भारत के समक्ष उठाया है, जिसमें रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच हुई बैठक भी शामिल है। भारत ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे “अटकलबाजी और भ्रामक” बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि भारत अपने हथियारों के निर्यात से पहले यह सुनिश्चित करता है कि वे अन्य देशों को दोबारा निर्यात नहीं किए जाएंगे।
इजरायल ने भारत से मांगे थे तोप के गोले
भारतीय आयुध निर्यात नियमों के अनुसार, भारत जिस देश को रक्षा सामग्री निर्यात करता है, केवल वही देश उसे इस्तेमाल कर सकता है। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, गाजा युद्ध के प्रारंभिक दिनों में इजरायल ने भारत से 155 और 105 एमएम के तोप के गोलों की मांग की थी, लेकिन भारत ने नीतिगत कारणों से इनका निर्यात न करने का निर्णय लिया है।
सूत्रों के मुताबिक, इजरायल और रूस दोनों ही भारत के मित्र देश हैं, लेकिन नीतिगत फैसलों के कारण युद्धक सामग्री का निर्यात नहीं किया जाएगा।
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इजरायल को भारत से Hermes 900 ड्रोन और कुछ विस्फोटक भेजे गए हैं। इसके चलते फिलिस्तीन में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। विपक्षी दलों ने भी मांग की है कि भारत इजरायल को हथियार न सप्लाई करे।