इजरायल और हमास के बीच संघर्ष की शुरुआत अक्टूबर 2023 में हुई थी और यह संघर्ष अब एक साल पूरा होने की ओर है। इस युद्ध में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है.
भारत-इजरायल संबंध: 4 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है कि इजरायल को हथियारों और अन्य सैन्य उपकरणों की सप्लाई रोकी जाए। इस याचिका के माध्यम से कहा गया है कि भारतीय कंपनियों द्वारा इजरायल को हथियार सप्लाई करने वाले लाइसेंसों को रद्द किया जाए।
याचिका में इजरायल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष को ध्यान में रखते हुए यह मांग की गई है, जिसमें हजारों लोगों की मौत हुई है। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के जरिए दायर की गई इस याचिका में यह भी कहा गया है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों का पालन करना चाहिए, और युद्ध अपराधों के दोषी देशों को सैन्य हथियारों की सप्लाई नहीं करनी चाहिए। याचिका में 11 लोगों द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं।
भारत ने की इजरायल को हथियारों की सप्लाई!
कतर के मीडिया हाउस अल जजीरा ने जून 2024 में अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि भारत ने इजरायल को बड़ी मात्रा में सैन्य सामग्री सप्लाई की है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने इजरायल को 20 टन रॉकेट इंजन, 12.5 टन विस्फोटक चार्ज वाले रॉकेट, 1500 किलो विस्फोटक सामान और 740 किलो गोला-बारूद भेजा है। इसके अलावा, इस साल फरवरी में हैदराबाद की एक कंपनी से इजरायल को 20 हर्मेस 900 ड्रोन की सप्लाई की गई थी, जिसे इजरायल ने ही स्थापित किया था।
भारत में इजरायल के पूर्व राजदूत डैनियल कार्मन ने भी इस साल जून में कहा था कि भारत इजरायल को हथियारों की सप्लाई कर रहा है, यह 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भारत को भेजे गए इजरायली हथियारों के कर्ज चुकाने का हिस्सा है। हालांकि, भारत ने इस बयान की पुष्टि या खंडन नहीं किया है।
इस बीच, इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष में भारी जनहानि हुई है। गाजा में 40,000 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है, और इस स्थिति के खिलाफ युद्धविराम की मांग विश्वभर में उठ रही है। इजरायल में भी सड़कों पर हजारों लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, खासकर गाजा में बंधक बनाए गए छह इजरायलियों के शव मिलने के बाद। लोग सरकार पर युद्धविराम लागू करने का दबाव बना रहे हैं।