सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की याचिका पर 30 अक्टूबर के फैसले की समीक्षा करने से इंकार किया है और जांच एजेंसियों से कहा है कि इस मामले की सुनवाई को 6 से 8 महीने में पूरा करें।
दिल्ली समाचार: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा कथित शराब नीति घोटाला मामले में जमानत के खिलाफ याचिका दाखिल करने पर इनकार करते हुए इस मामले की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने इस मामले के फैसले की समीक्षा करने के लिए मौखिक सुनवाई को भी इनकार किया है और उसे चैंबर बाई सर्कुलेशन में खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने समीक्षा याचिकाएं खारिज करने का कारण संक्षेप में यह बताया कि इस मामले की समीक्षा के लिए कोई मामला नहीं बनता है और इसलिए समीक्षा याचिकाएं खारिज की जाती हैं।
338 करोड़ ट्रांसफर के दावों में दम है
शीर्ष अदालत ने 30 अक्टूबर को भ्रष्टाचार और धनशोधन के आरोपों का सामना कर रहे आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता को जमानत देने से इनकार किया था। शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि भले ही कई प्रश्न इस मामले में अनुत्तरित हैं, लेकिन 338 करोड़ रुपये के हस्तांतरण के संबंध में एक पहलू अस्थायी रूप से स्थापित है।
6 से 8 माह में खत्म करें सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सिसोदिया का मुकदमा छह से आठ महीने के भीतर पूरा किया जाए। उन्होंने कहा है कि अगर मुकदमा अगले तीन महीनों में धीमी गति से आगे बढ़ता है, तो वह नए सिरे से जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं। सिसोदिया को इस साल 26 फरवरी को सीबीआई ने और 9 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था, जिसके बाद से वह दिल्ली के पूर्व डिप्टी तिहाड़ जेल में बंद हैं।