सुप्रीम कोर्ट ने आतंकवादी यासीन मलिक के मामले को जम्मू की अदालत से दिल्ली की तिहाड़ जेल में स्थानांतरित करने की याचिका पर 18 दिसंबर, 2024 को सुनवाई निर्धारित की है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मलिक को जम्मू में पेश करने का विरोध किया है।
यासीन मलिक मामला: सुप्रीम कोर्ट ने आतंकवादी यासीन मलिक के खिलाफ चल रहे मामले को जम्मू कोर्ट से दिल्ली की तिहाड़ जेल स्थित विशेष कोर्ट में स्थानांतरित करने पर 18 दिसंबर को सुनवाई तय की है। कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों को नोटिस जारी कर दिया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मलिक को जम्मू में पेश करने का विरोध कर रही है। यह पेशी रुबिया अपहरण और वायु सेना अधिकारी की हत्या से जुड़े मामलों में होनी है।
CBI ने जम्मू कोर्ट में मलिक को पेश न करने के लिए संशोधित याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों को पक्ष बनाने का आदेश दिया था और यह भी कहा था कि वह यह तय करेगा कि क्या जेल में ही कोर्ट लगा कर सुनवाई की जा सकती है। CBI ने एक अलग आवेदन दाखिल कर बताया कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में कोर्ट की सुविधा उपलब्ध है, इसलिए मामले को यहां ट्रांसफर किया जाए।
2022 से लंबित है यासीन मलिक मामला
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में 2022 से लंबित है, जब सीबीआई ने जम्मू की विशेष टाडा कोर्ट के उन आदेशों को चुनौती दी थी, जिनमें यासीन मलिक को दो अलग-अलग मामलों में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था। सितंबर 2022 में जम्मू कोर्ट ने रुबिया सईद अपहरण मामले और वायु सेना के चार अधिकारियों की हत्या के मामले में मलिक के प्रोडक्शन वारंट जारी किए थे।
सीबीआई ने अपनी याचिका में कहा था कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद यासीन मलिक को सुरक्षा कारणों से जम्मू नहीं लाया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में ही जम्मू कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। 21 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की बेंच में हुई सुनवाई में सीबीआई और केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पेशी दी।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यासीन मलिक एक साधारण आतंकवादी नहीं है, उसके पाकिस्तान में बड़े संपर्क हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में कानून की किताबों में लिखी सभी बातें हूबहू लागू नहीं की जा सकतीं। सीबीआई ने यह भी पेशकश की थी कि यासीन मलिक का कानूनी प्रतिनिधित्व कोर्ट में उपलब्ध कराया जाएगा, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं है और खुद जम्मू जाना चाहता है।
मेहता ने यह भी बताया कि गवाहों की सुरक्षा को लेकर चिंता है, क्योंकि पहले एक गवाह की हत्या हो चुकी है। इस पर जजों ने सुझाव दिया कि वे जेल में ही विशेष कोर्ट बनाने पर विचार करेंगे, लेकिन इसके लिए दूसरे आरोपियों को भी सुनना होगा।