कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) के जनरल सेक्रेटरी डी राजा ने कहा है कि उन्हें यह याद नहीं आता कि राजनाथ सिंह ने उनसे हुर्रियत नेताओं से मिलने का कोई सुझाव दिया था।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के एक बयान ने हलचल मचा दी है। रविवार (8 सितंबर, 2024) को रामबन में एक रैली में राजनाथ सिंह ने दावा किया कि उन्होंने 2016 में हुर्रियत नेताओं से बातचीत करने की कोशिश की थी, लेकिन हुर्रियत ने दरवाजा बंद कर दिया। उनके इस बयान पर हुर्रियत के चेयरमैन मीरवईज उमर फारुख और CPI के नेता डी राजा की प्रतिक्रियाएं आई हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने 2016 में चार विपक्षी सांसदों को हुर्रियत से बात करने के लिए भेजा था, लेकिन हुर्रियत ने दरवाजा बंद कर दिया। डी राजा भी उन विपक्षी सांसदों में शामिल थे। मीरवईज उमर फारुख ने राजनाथ सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हुर्रियत इस बात से हैरान है कि सरकार ने बातचीत की कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि हुर्रियत ने कभी भी कश्मीर मुद्दे पर बात करने से इनकार नहीं किया और हमेशा समाधान के लिए बातचीत की वकालत की है।
राजनाथ सिंह के बयान के एक दिन बाद, मीरवईज ने कहा, “हुर्रियत पहली बार जानकर हैरान है कि सरकार ने बातचीत की कोशिश की थी। हमने हमेशा जम्मू-कश्मीर के लोगों के मुद्दों को बातचीत के माध्यम से हल करने की बात की है।”
राजनाथ सिंह के दावे पर क्या बोले डी राजा?
कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) के जनरल सेक्रटरी डी राजा ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के दावे को खारिज कर दिया है। डी राजा ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि उन्हें याद नहीं आता कि राजनाथ सिंह ने कभी कहा हो कि उन्हें हुर्रियत से मिलना चाहिए क्योंकि हुर्रियत बीजेपी नेताओं से नहीं मिलना चाहती। डी राजा ने बताया, “ऑल पार्टी डेलीगेशन में सभी के बीच इस पर सहमति बनी थी कि सांसद किसी भी समूह से मिल सकते हैं, और उसी के तहत हम हुर्रियत से मिलने गए।”
राजनाथ सिंह ने रामबन की रैली में कहा था कि सितंबर 2016 में जब वह गृहमंत्री थे, उन्होंने विपक्षी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल को हुर्रियत से बात करने के लिए भेजा था। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने खुद जाना इसलिए मना किया क्योंकि हुर्रियत बीजेपी को पसंद नहीं करता था और यदि वह जाते तो हुर्रियत नेता नाराज हो जाते। राजनाथ सिंह का दावा है कि चार सांसदों ने जब हुर्रियत से मिलने की कोशिश की, तो हुर्रियत नेताओं ने दरवाजा ही नहीं खोला और कहा कि वे सीनियर सांसदों से बात नहीं करना चाहते।
इस प्रतिनिधिमंडल में सीपीआई के डी राजा, आरजेडी के जय प्रकाश नारायण यादव, सीपीआईएम के सीताराम येचुरी और जेडीयू के शरद यादव शामिल थे। उस समय हुर्रियत के नेता हाउस अरेस्ट में थे और जम्मू-कश्मीर में हिंसा भड़क गई थी।