एक व्यक्ति ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने अपने प्रदेश में तंबाकू उत्पाद के विज्ञापनों को सीधे सरकार से लड़ाई की। इस कार्य के लिए उसने दो साल तक कानूनी मुकाबला किया और अंत में सफलता प्राप्त की।
आज विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जा रहा है। तंबाकू के सेवन में बढ़ोतरी और स्वास्थ्य सम्बन्धी बीमारियों को रोकने के लिए इस दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। हालांकि, कई लोग इस मुद्दे में सबसे बड़ी समस्या के रूप में बढ़ते विज्ञापनों को मानते हैं। इसके उदाहरण के रूप में, उदयपुर के एक व्यक्ति गोपाल कंसारा ने इन विज्ञापनों को रोकने के लिए सीधे राजस्थान सरकार से कानूनी लड़ाई लड़ी है। इस संघर्ष के बाद दो साल के कानूनी जंग के बाद उन्हें सफलता मिली है और वे इस सफलता से अत्यंत प्रसन्न हैं और आगे की लड़ाई भी जारी है।
यह है इनके कामयाबी की कहानी
लोकेश कंसारा द्वारा बताया गया है कि तंबाकू सेवन से हजारों लोगों की जान जा रही है। एक पक्ष में सरकार युवाओं को तंबाकू से दूर रहने के लिए जागरूक कर रही है, वहीं दूसरी तरफ सरकार ही तंबाकू कंपनियों के विज्ञापनों को प्रचार कर रही थी। यानी प्रदेश में चल रही रोडवेज बसों पर भी तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन छपे हुए थे।
इसके परिणामस्वरूप, गहलोत सरकार की पिछली कार्यकाल की घटना है। जब उदयपुर से जयपुर लौटते समय, एक आरटीआई की सुनवाई के बाद, एक रोडवेज बस में यात्री थे और मेरी सफेद कमीज़ पर किसी ने तंबाकू थूका। मैंने उनसे बात की, लेकिन वे तीन लोग थे। इसके बाद मैंने घर जाकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और आरटीआई भी दायर की। मैंने पूछा कि क्या प्रदेश सरकार तंबाकू और तंबाकू उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए ऐसे प्रचार-प्रसार कर सकती है जो युवाओं, बच्चों और बुजुर्गों को कैंसर की जड़ में धकेल सकता है? सरकार ने एक जवाब दिया कि वे पान मसाला के विज्ञापन प्रदर्शित करने के लिए ऐसा पदाधिकारी नहीं नियुक्त किया है। इस उत्तर के बाद सरकार ने विज्ञापनों को बंद नहीं किया।
सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय पहुँचे
उन्होंने बताया कि तंबाकू के विज्ञापनों को बंद करने के लिए एक प्रतिवेदन लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचे। वहां से उन्होंने लिखित में यह बताया कि अब बसों पर विज्ञापन नहीं दिखेंगे। इसके बावजूद, किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई और विज्ञापन नहीं हटाए गए। इसके बाद कंसारा ने मुख्यमंत्री कार्यालय में एक पत्र लिखा, जिसमें बताया गया कि अगर विज्ञापन बंद नहीं किए जाते हैं, तो उन्हें न्यायालय की सहायता लेनी पड़ेगी। इसके बाद उन्होंने लोक सूचना आयोग में आरटीआई को लंबा खींचा। फिर दो साल बाद अंततः सरकार ने ओयल रोडवेज से तंबाकू उत्पाद के विज्ञापन हटा दिए। इसके बाद राज्य स्तर पर सरकार ने सफल कहानियों को एक अवार्ड से सम्मानित किया।