मुस्लिम पक्ष ने दिल्ली के ईदगाह पार्क में महारानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने के संदर्भ में हाईकोर्ट में अपना पक्ष प्रस्तुत किया। इस मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर में होगी।
दिल्ली समाचार: दिल्ली के सदर बाजार में शाही ईदगाह के सामने महारानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा लगाने के मामले में शुक्रवार (27 सितंबर) को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट को सूचित किया कि उन्होंने गुरुवार (26 सितंबर) को माफीनामा रजिस्ट्री में जमा कर दिया है।
हाईकोर्ट ने 25 सितंबर को दिल्ली शाही ईदगाह प्रबंध समिति को उसकी “निंदनीय दलीलों” के लिए फटकार लगाई थी, यह कहते हुए कि समिति अपनी याचिकाओं के माध्यम से सांप्रदायिक राजनीति कर रही है। अदालत ने समिति से माफी मांगने के लिए कहा था। समिति ने याचिका वापस लेने का वादा किया, लेकिन अदालत ने पहले माफी मांगने की शर्त रखी। मामले पर अगली सुनवाई एक अक्टूबर को होगी।
‘याचिका को कहा विभाजनकारी’
उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने ईदगाह समिति की याचिका को विभाजनकारी करार दिया, यह कहते हुए कि इतिहास को सांप्रदायिक आधार पर नहीं बांटना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि झांसी की रानी लक्ष्मी बाई सभी धार्मिक सीमाओं को पार करते हुए एक राष्ट्रीय नायक हैं।
इस बीच, स्थानीय लोग ईदगाह पार्क में महारानी लक्ष्मी बाई की मूर्ति लगाने के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। बुधवार को इस मूर्ति को रानी झांसी गोल चक्कर से हटाकर ईदगाह पार्क में स्थापित करने का काम शुरू किया गया था। हालांकि, स्थानीय मुस्लिम समुदाय के विरोध के कारण कड़ी सुरक्षा के बीच कार्य जारी है।
गौरतलब है कि यूटीपेक ने इस योजना को 2019 में मंजूरी दी थी, और निगम ने भी 2020 में प्रस्ताव को पास कर दिया था। इस परियोजना के तहत रानी झांसी गोल चक्कर पर स्थापित मूर्ति को ईदगाह के पार्क में स्थानांतरित किया जा रहा है।