आयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले विवाद उत्पन्न हुआ है, जिसके संबंध में ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एक घोषणा की है, जिससे चर्चा तेज हो रही है।
रामलला प्राण प्रतिष्ठा: अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों के बीच, एक और विवाद उठा है जिसने देशभर में चर्चा का केंद्र बना दिया है। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने घोषणा की है कि जब तक गौ माता की हत्या पर प्रतिबंध नहीं लगेगा और उन्हें राष्ट्र माता का दर्जा नहीं मिलेगा, तब तक वे अयोध्या के राम मंदिर में दर्शन के लिए नहीं जाएंगे। इस घोषणा ने वाराणसी और अन्य धार्मिक स्थलों पर भी चर्चा को तेज़ किया है। शंकराचार्य ने कहा कि गौ माता की हत्या पर प्रतिबंध और उन्हें राष्ट्रीय माता का स्थान दिलाने के लिए वे राष्ट्र माता प्रतिष्ठा आंदोलन की शुरुआत कर रहे हैं।
राम मंदिर में दर्शन को लेकर ये कहा
22 जनवरी को आयोजित होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेने पर जब स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने उत्तर दिया कि अयोध्या उनके लिए सिर्फ़ एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह उनके लिए ससुराल नहीं है, और वह वहां केवल आमंत्रण पर ही जाएंगे। सवाल यह है कि क्या हम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के समक्ष उपस्थिति के लिए योग्य हैं या नहीं, और क्या हम उनसे उनके आदर्शों का अनुसरण करने का अधिकारी हैं। इस पर उन्होंने कहा कि अगर भगवान श्री राम हमसे पूछें कि हमने उनकी गौ माता के लिए जो अवतार लिया, उसकी वर्तमान स्थिति क्या है, तो हमें उनके समक्ष क्या उत्तर देना चाहिए और क्या हम उनकी आदर्शों पर सदाचार कर रहे हैं, इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने गौ माता की हत्या पर प्रतिबंध लगाने और उन्हें राष्ट्र माता का दर्जा प्राप्त करने के लिए राष्ट्र माता प्रतिष्ठा आंदोलन की शुरुआत करने का एक संकल्प जताया है।