अफ्रीका महाद्वीप के देशों में हर दिन रूस का दबदबा बढ़ता जा रहा है। नाइजर में तख्तापलट के बाद लोगों को रूस का झंडा लहराते हुए देखा गया है।
अफ़्रीका में रूस: अफ्रीका को लेकर चीन के प्रति इस तरह के दावे और आरोप बनाए जाते हैं कि चीन अफ्रीकी देशों को कब्जे की तैयारी कर रहा है और उन्हें भारी कर्ज देकर गुलाम बनाना चाहता है। हालांकि, यह बात सच्चाई से बिल्कुल उलट हो सकती है, और अफ्रीकी देशों पर रूस का जितना प्रभाव है, उतना किसी अन्य देश का नहीं है। नाइजर में हुए तख्तापलट के दौरान रूसी झंडे के दिखने के बारे में विभिन्न रिपोर्ट्स हैं, जिसमें लोग फ्रांस और पुतिन के खिलाफ नारे लगा रहे थे। यह स्थिति पश्चिमी देशों को चिंता प्रदान कर सकती है कि अफ्रीका में रूस का प्रभाव बढ़ रहा है और इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
अफ्रीका में क्या हो रहा है?
अफ्रीका के ज्यादातर देशों में या तो तानाशाही है या फिर सेना का राज, जिससे ताकतवर सेनाओं को सत्ता से बाहर कर दिया गया और उनकी जगह मिलिट्री जुंटा को सौंपी गई है। यह जुंटा रूस के साथ करीबी संबंध रखता है।
अफ्रीका में लोकतंत्र को स्थापित करने के लिए ‘इकोनॉमिक कम्युनिटी ऑफ वेस्ट अफ्रीकन स्टेट्स’ (ECOWAS) नामक एक गठबंधन जिम्मेदार है, जिसका नेतृत्व नाइजीरिया कर रहा है। ECOWAS के मकसद है कि उन देशों में सेना का शासन उखाड़ फेंका जाए, जो इस समय में तानाशाही के तहत हैं और इसे लोकतंत्रिक सरकार के रूप में स्थापित किया जाए। ECOWAS का मानना है कि यही तरक्की का एकमात्र माध्यम है।
अफ्रीका में रूस की क्या भूमिका है?
अफ्रीका में रूस के प्रति बढ़ता हुआ प्रभाव देखा जा रहा है, जो वहां पश्चिमी मुल्कों को पीछे छोड़ रहा है। अफ्रीकी सेंटर की रिसर्च के अनुसार, कई देशों में रूस का प्रभाव दिखाई दे रहा है, और रूस इन देशों की राजनीति और सैन्य मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। रूस ने अफ्रीका में कई पॉवरफुल दोस्त बनाए हुए हैं, जिसमें दक्षिण अफ्रीका भी शामिल है। रूस-दक्षिण अफ्रीका की दोस्ती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रूस ने मई में मॉस्को को हथियारों की सप्लाई भेजी थी। इसके अलावा, उत्तरी अफ्रीका के मुल्कों में रूस की तूती बोल रही है और इसकी सबसे बड़ी वजह वैगनर ग्रुप है। इससे रूस को अपने हिसाब से फैसला करने की ताकत मिली है।
वैगनर ग्रुप अफ्रीका में क्या कर रहा है?
वैगनर ग्रुप अफ्रीका में रूस के लिए महत्वपूर्ण है और इसका प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। वैगनर ग्रुप के सैनिकों को अफ्रीकी देशों में तैनात किया जा रहा है, जैसे कि नाइजर, माली, बुर्किना फासो और अन्य। ये सैनिक मिलिट्री जुंटा सरकारों को स्थायी करने में मदद कर रहे हैं।
सूडान, लीबिया, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक जैसे देशों में सेना और वैगनर ग्रुप के सैनिक आतंकी संगठनों के खिलाफ लड़ रहे हैं, जिसमें रूस की तरफ से हथियारों की सप्लाई भी हो रही है। रूस वैगनर ग्रुप के माध्यम से इन देशों के साथ बढ़ी मात्रा में सुरक्षा कर रहा है।
वैगनर ग्रुप के जरिए रूस का अफ्रीका में प्रभाव बढ़ रहा है, और इससे वह अपने राष्ट्रीय हितों को पूरा करने में सफलता प्राप्त कर रहा है। इस प्रकार, रूस अफ्रीका में बढ़ते प्रभाव के माध्यम से अपनी राजनीतिक, मिलिट्री और आर्थिक हुकूमत को बढ़ा रहा है।
रूस की अफ्रीका में दिलचस्पी की वजह क्या है?
यूक्रेन युद्ध के परिणामस्वरूप रूस अलग-थलग पड़ा हुआ है और उसे पश्चिमी मुल्कों के समर्थन की आवश्यकता है, जो उसे अफ्रीकी देशों में प्राप्त हो सकता है। पश्चिमी मुल्कों के समर्थन से आफ्रिका के कई देशों की सरकारें चल रही हैं, लेकिन जनता के बीच हालात सुधारने की अपेक्षा बढ़ रही है। यह विचार उन्हें रूस के समर्थन की ओर प्रवृत्त कर रहा है।
अफ्रीकी देशों में प्राकृतिक संसाधनों का महत्वपूर्ण स्त्रोत होने के कारण रूस उनके साथ व्यापार करने की इच्छा रखता है। यूरेनियम, सोने, हीरे आदि के खदानों में खुदाई की अनुमति देने से रूस का आर्थिक और भूगोलिक प्रभाव बढ़ता है। वैगनर ग्रुप के सैनिक भी अफ्रीका में उसके राजनीतिक और सुरक्षा हितों का समर्थन करने में मदद कर रहे हैं। इस प्रकार, रूस अफ्रीका में अपने प्रभाव को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।