दिल्ली के रोहिणी इलाके में सीआरपीएफ स्कूल के बाहर हुए तेज धमाके की जांच जारी है। जांच एजेंसियों को संदेह है कि इस विस्फोट के पीछे नक्सलियों का हाथ हो सकता है।
दिल्ली ब्लास्ट: दिल्ली के रोहिणी इलाके में सीआरपीएफ स्कूल के पास हुए ब्लास्ट की जांच में एजेंसियां कई संभावित कोणों पर तफ्तीश कर रही हैं। शुरुआती जांच से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि धमाके का मकसद किसी को नुकसान पहुंचाने के बजाय एक संदेश देना हो सकता है, क्योंकि यह ब्लास्ट रविवार (20 अक्टूबर) को छुट्टी के दिन सुबह-सुबह हुआ था, और उस समय स्कूल बंद था।
नक्सलियों की संलिप्तता का शक?
जांच एजेंसियों को संदेह है कि इस ब्लास्ट के पीछे नक्सलियों का हाथ हो सकता है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों से सीआरपीएफ देशभर में नक्सलियों के खिलाफ बड़े अभियान चला रही है। धमाके के तुरंत बाद, सोशल मीडिया पर ‘जस्टिस लीग इंडिया’ नाम से एक पोस्ट वायरल हुई, जिसमें खालिस्तानी आतंकी संगठन की ओर से इस ब्लास्ट की जिम्मेदारी ली गई।
पाकिस्तानी आतंकी एंगल
इसके अलावा, हाल ही में दिल्ली में त्योहारों को देखते हुए खुफिया विभाग ने सुरक्षा को लेकर अलर्ट जारी किया था। इस वजह से जांच एजेंसियां पाकिस्तानी आतंकी संगठनों की संलिप्तता की भी जांच कर रही हैं, ताकि पता लगाया जा सके कि कहीं इस घटना के पीछे उनका हाथ तो नहीं है।
दिल्ली ब्लास्ट मामले में केस दर्ज
दिल्ली के रोहिणी डिस्ट्रिक्ट के प्रशांत विहार में सीआरपीएफ स्कूल की बाउंड्री में हुए ब्लास्ट मामले में दिल्ली पुलिस ने प्रशांत विहार थाने में बीएनएस की धारा 326(g) और प्रिवेंशन ऑफ डेमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट की धारा 4 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
मल्टीपल एजेंसियों ने की जांच
मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए स्थानीय पुलिस, स्पेशल सेल, एनएसजी, सीआरपीएफ, और गृह मंत्रालय की टीम सहित कई एजेंसियां मौके पर पहुंची और जांच की। एनएसजी में बम निरोधक दस्ते के प्रमुख मोहम्मद जमाल को बुलाया गया था, जो बम की श्रेणी समझने में विशेषज्ञ माने जाते हैं। एफएसएल, बम स्क्वाड, और एनएसजी ने मौके से कटे हुए तारों के टुकड़े, पेंसिल सेल, और सफेद रंग का पाउडर बरामद किया।
एजेंसियों द्वारा जुटाए गए सबूतों की एक विस्तृत रिपोर्ट गृह मंत्रालय के साथ साझा की जाएगी। इसके अलावा, गृह मंत्रालय की एक टीम भी मौके पर पहुंची थी। फिलहाल, स्थानीय पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया है, और इसे जल्द ही स्पेशल सेल या गृह मंत्रालय के आदेश पर केंद्रीय एजेंसी को ट्रांसफर किया जा सकता है।