लद्दाख में पिछले दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी को जीत मिली थी। हालांकि, इस बार लोगों ने एक निर्दलीय उम्मीदवार को अपना सांसद चुना है।
मोहम्मद हनीफा जान: लद्दाख के निर्दलीय सांसद मोहम्मद हनीफा जान ने मंगलवार (11 जून) को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर हनीफा और खरगे की तस्वीर साझा की है, जिसमें कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल भी नजर आ रहे हैं। इस मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है कि शायद लद्दाख के निर्दलीय सांसद हनीफा कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
इसके अलावा, यह भी चर्चा है कि मोहम्मद हनीफा कांग्रेस को समर्थन दे सकते हैं। देश की सबसे पुरानी पार्टी को पहले ही दो निर्दलीय सांसदों का समर्थन मिल चुका है। पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले पप्पू यादव ने सोमवार (10 जून) को मल्लिकार्जुन खरगे से मिलकर कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की थी। इसी प्रकार महाराष्ट्र की सांगली लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले विशाल पाटिल ने भी कांग्रेस को समर्थन दिया है। इस चुनाव में कांग्रेस को कुल 99 सीटें मिली हैं।
कारगिल के शिया नेता हैं मोहम्मद हनीफा
मोहम्मद हनीफा जान कारगिल जिले के रहने वाले हैं और उनकी पहचान एक प्रमुख शिया नेता के रूप में होती है। उन्होंने इस साल लद्दाख लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में लद्दाख से बीजेपी को जीत मिली थी, लेकिन इस बार लद्दाख के लोगों में संविधान की छठी अनुसूची और राज्य का दर्जा न दिए जाने को लेकर बीजेपी के प्रति आक्रोश था, जिसका नतीजा बीजेपी की हार के रूप में सामने आया।
हनीफा जान को 1,35,524 वोटों में से 65,259 वोट मिले, जिससे उनका वोट शेयर 48% रहा। उन्होंने दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस उम्मीदवार त्सेरिंग नामग्याल को लगभग 28,000 वोटों से हराया। त्सेरिंग नामग्याल को 37,397 वोट मिले, और उनका वोट शेयर 27% था। दो बार चुनाव जीतने वाली बीजेपी को इस बार 31,956 वोट मिले। लद्दाख में 20 मई को वोटिंग हुई थी, जिसमें 70% मतदान हुआ था।