कुछ दिन पहले यूपीएससी ने लेटरल एंट्री के माध्यम से विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक/उप सचिव पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था।
पार्श्व प्रवेश भर्ती रद्दीकरण: केंद्र सरकार लेटरल एंट्री से होने वाली भर्तियों के विज्ञापन को रद्द करने की योजना बना रही है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के मंत्री जितेंद्र सिंह ने ‘संघ लोक सेवा आयोग’ (यूपीएससी) को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने लेटरल एंट्री से भर्ती के विज्ञापन को रद्द करने का अनुरोध किया है। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत के बाद उठाया गया है।
विपक्ष इस विज्ञापन के जारी होने के बाद से ही सरकार पर आक्रामक था। दरअसल, यूपीएससी ने 17 अगस्त को विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक, और उप सचिव के पदों पर 45 विशेषज्ञों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसे लेटरल एंट्री के माध्यम से पूरा किया जाना था। विपक्ष ने इस फैसले का विरोध करते हुए इसे आरक्षण की व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास बताया। लेटरल एंट्री के माध्यम से निजी क्षेत्र के लोगों को मंत्रालयों में प्रमुख पदों पर काम करने का अवसर मिलता।
सरकार के मंत्रालयों में लेटरल एंट्री से नियुक्त कितने लोग काम कर रहे?
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने 9 अगस्त, 2024 को राज्यसभा में बताया था कि पिछले पांच सालों में लेटरल एंट्री के जरिए 63 पदों पर नियुक्तियां की गई हैं. इनमें अभी 57 अधिकारी अलग-अलग मंत्रालय और विभागो में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप-सचिव स्तर के पद पर काम कर रहे हैं. लेटरल एंट्री के जरिए होने वाली भर्तियां कॉन्ट्रैक्ट आधारित होती हैं, जो दो से तीन साल की अवधि वाली होती हैं. कुछ मामलों में नियुक्त होने वाले शख्स के प्रदर्शन के आधार पर कॉन्ट्रैक्ट की अवधि बढ़ा दी जाती है.
यूपीएससी को लिखी चिट्ठी में क्या कहा गया?
जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा, “2014 से पहले लेटरल एंट्री के जरिए की गई भर्तियां अस्थायी और एड-हॉक आधार पर होती थीं, जिनमें कई बार पक्षपात के मामले भी सामने आए। हमारी सरकार की कोशिश है कि इस प्रक्रिया को संस्थागत रूप से बेहतर, पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए। प्रधानमंत्री का दृढ़ विश्वास है कि लेटरल एंट्री की प्रक्रिया संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के साथ समन्वित होनी चाहिए, विशेषकर आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में।”
पत्र में आगे कहा गया, “प्रधानमंत्री का मानना है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण सामाजिक न्याय के ढांचे की बुनियाद है, जिसका उद्देश्य ऐतिहासिक रूप से वंचित समुदायों को अवसर प्रदान करना और समावेशिता को बढ़ावा देना है। यह महत्वपूर्ण है कि सामाजिक न्याय के प्रति संवैधानिक आदेश को बनाए रखा जाए ताकि हाशिए पर रहने वाले समुदायों के योग्य उम्मीदवारों को सरकारी सेवाओं में उचित प्रतिनिधित्व मिल सके। इसलिए, मैं यूपीएससी से लेटरल एंट्री भर्ती के विज्ञापन को रद्द करने का आग्रह करता हूं।”