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वायनाड में ‘मर्फी’ और ‘माया’ इंसानों को भी दे रहे मात…

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वायनाड में अब भी कई लोगों के मिट्टी और कीचड़ में फंसे होने की खबर है। इस परिस्थिति में लोगों को तलाशना आसान नहीं है। NDRF और SDRF की टीम अब प्रशिक्षित कुत्तों की मदद ले रही है।

वायनाड भूस्खलन नवीनतम समाचार: वायनाड में भूस्खलन के कारण मरने वालों की संख्या शनिवार को 358 तक पहुंच गई है। अब भी कई लोगों के मलबे में फंसे होने की खबरें हैं, और राहत व बचाव कार्य तेजी से जारी है। लापता लोगों को खोजने के लिए विभिन्न तरीकों को अपनाया जा रहा है।

मिट्टी और कीचड़ में दबे लोगों को तलाशना आसान नहीं है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम को कीचड़ में कई दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन इस चुनौतीपूर्ण माहौल में ‘मर्फी’ और ‘माया’ ने हीरो की तरह काम किया है। ये दोनों केरल पुलिस के K9 स्क्वॉड के खोजी कुत्ते हैं, जिन्होंने अब तक करीब 10 शवों को खोजने में मदद की है।

सेना ने भी इस राहत कार्य में पूरी ताकत झोंकी है। सेना के जवान खुद मिट्टी में जाकर लापता लोगों की खोज कर रहे हैं, और सेना के रीमाउंट और वेटनरी कोर (RVC) के तीन खोजी लैब्राडोर भी घटनास्थल पर जमकर मेहनत कर रहे हैं।

जल्द मिलेगी खास डिवाइस

वायनाड के कलेक्टर मेघश्री डी. आर. ने बताया कि शुक्रवार शाम को तिरुवनंतपुरम में राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (SEOC) से एक GPR आ रही थी। SEOC राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) की अनुसंधान और प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला है। सेना ने आपदा प्रबंधन को बढ़ाने के लिए विशेष उपकरणों के प्रावधान का अनुरोध किया है, और लापता लोगों की खोज जारी है।

रडार उपकरणों का भी लिया जा रहा सहारा

इन सबके बीच, केरल सरकार के अनुरोध पर उन्नत रडार उपकरणों को भी वायनाड में घटनास्थल पर तैनात कर दिया गया है। इसमें एक जेवर रडार और चार रीको रडार शामिल हैं। रडार तैनात किए जाने से भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्यों में तेजी आएगी। यहां पर सशस्त्र बलों, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपातकालीन कर्मियों की विशेषज्ञ टीमें बचाव अभियान में लगी हुई हैं।

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