हाईकोर्ट ने शशि थरूर के खिलाफ मानहानि का केस रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया था। यह मामला उस टिप्पणी को लेकर था जिसमें थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘शिवलिंग पर बिच्छू’ से जोड़ा था। इस टिप्पणी के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (10 सितंबर, 2024) को कांग्रेस सांसद शशि थरूर को राहत प्रदान करते हुए उनके खिलाफ मानहानि मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी। थरूर को इस मामले में आज दिल्ली हाईकोर्ट में पेश होना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग को स्वीकार कर लिया, जिससे उन्हें हाईकोर्ट में मानहानि की कार्यवाही के लिए उपस्थित नहीं होना पड़ा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 अगस्त को थरूर की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर की गई टिप्पणी ‘शिवलिंग पर बिच्छू’ के खिलाफ मानहानि का मामला रद्द करने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने थरूर की याचिका को अस्वीकार कर दिया था, जिसके बाद थरूर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने थरूर की याचिका पर सुनवाई की। थरूर के वकील ने कोर्ट में तर्क किया कि थरूर ने एक पत्रिका में प्रकाशित सामग्री को उद्धृत किया था, जिसमें एक आरएसएस नेता ने पीएम मोदी की तुलना शिवलिंग पर बैठे बिच्छू से की थी। थरूर का कहना था कि उन्होंने केवल उस पत्रिका में छपी बात को दोहराया और शिकायतकर्ता को इस मामले में सीधे तौर पर प्रभावित नहीं कहा जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने शशि थरूर के खिलाफ मानहानि मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी और कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सवाल उठाए। थरूर के वकील ने बताया कि 2018 में बैंगलोर लिटरेचर फेस्टिवल में थरूर ने आरएसएस नेता की टिप्पणी को “असाधारण उपमा” के रूप में पेश किया था और इस पर एक न्यूज चैनल ने वीडियो भी चलाया था। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि 2012 में इस बयान पर कोई आपत्ति नहीं जताई गई, तो 2018 में अचानक क्यों विवाद उत्पन्न हुआ।
वकील ने यह भी कहा कि बीजेपी नेता राजीव बब्बर ने न तो कारवां मैगजीन का उल्लेख किया और न ही उस व्यक्ति को आरोपी बनाया जिसने यह बयान दिया था। जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने इस पर टिप्पणी की कि यह एक रूपक है, जिसका कई अर्थ हो सकते हैं, इसलिए इस पर आपत्ति की कोई समझदारी नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता राजीव बब्बर को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है।