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श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद में मुस्लिम पक्ष ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख…

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हाईकोर्ट के जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए यह कहा कि शाही ईदगाह के धार्मिक चरित्र का निर्धारण आवश्यक है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यह स्थान मंदिर है या मस्जिद।

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद में मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं पर सुनवाई को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया था। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में प्रबंधन ट्रस्ट समिति और शाही ईदगाह मस्जिद की ओर से वकील आरएचए सिकंदर द्वारा दायर की गई है।

हाईकोर्ट ने एक अगस्त को मथुरा में मंदिर-मस्जिद विवाद से संबंधित मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि शाही ईदगाह के धार्मिक चरित्र का निर्धारण जरूरी है। इस निर्णय को मुस्लिम पक्ष के लिए बड़ा झटका माना गया क्योंकि उन्होंने हिंदू पक्ष की याचिकाओं को सुनने योग्य मानने की मांग की थी। वहीं, हिंदू पक्ष ने वहां पूजा के अधिकार की मांग की थी।

हाईकोर्ट ने यह दलील भी खारिज कर दी थी कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और नजदीकी मस्जिद के विवाद से संबंधित हिंदू पक्ष की याचिकाएं उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 का उल्लंघन करती हैं और इसलिए सुनवाई योग्य नहीं हैं। यह अधिनियम आजादी के दिन मौजूद उपासना स्थलों के धार्मिक चरित्र को बदलने पर रोक लगाता है, जिसमें केवल राम जन्मभूमि को इसके दायरे से बाहर रखा गया था।

हिंदू पक्ष ने अपने मामलों में औरंगजेब काल की मस्जिद को हटाने की मांग की है, जिसका दावा है कि यह मस्जिद एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाई गई थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि 1991 का अधिनियम धार्मिक चरित्र की परिभाषा नहीं देता और विवादित स्थल पर एक ही समय में मंदिर और मस्जिद का दोहरा धार्मिक चरित्र नहीं हो सकता।

हाईकोर्ट के जज ने कहा था, “यह स्थान या तो मंदिर है या मस्जिद। इसलिए, विवादित स्थल का धार्मिक चरित्र, जैसा कि 15 अगस्त, 1947 को था, दोनों पक्षों के नेतृत्व में दस्तावेजी और मौखिक साक्ष्य के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए।”

जस्टिस मयंक कुमार जैन ने निष्कर्ष निकाला था कि यह मामले वक्फ अधिनियम, 1995; उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991; विशिष्ट राहत अधिनियम, 1963; परिसीमा अधिनियम, 1963 और सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश 13 नियम 3ए के किसी भी प्रावधान से बाधित नहीं होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 9 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश की क्रियान्वयन पर रोक को नवंबर तक बढ़ा दिया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण की अनुमति दी थी।

हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में भी सभी तथ्य पेश करने का निर्णय लिया है। श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट मथुरा के आशुतोष पांडेय ने बताया कि उन्होंने मुस्लिम पक्ष की याचिका दाखिल होने से पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट आवेदन दायर किया था, ताकि एकपक्षीय आदेश न जारी हो। हिंदू पक्ष ने यह भी कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट में वही सभी तथ्य पेश करेगा, जो हाईकोर्ट में प्रस्तुत किए गए थे।

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