यूपी के एक छात्र को आईआईटी धनबाद में सीट आवंटित की गई थी, लेकिन फीस जमा करने में उसे समय लग गया। जब वह आखिरी दिन फीस जमा करने के लिए गया, तो पोर्टल हैंग हो गया और वह फीस नहीं जमा कर पाया।
सुप्रीम कोर्ट: ऐसा अक्सर देखा जाता है कि यदि किसी मामले को उच्च न्यायालय में सुनने लायक माना जाता है, तो सुप्रीम कोर्ट उसे नहीं सुनता और याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा जाता है। लेकिन मंगलवार (24 सितंबर 2024) को एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई करने का निर्णय लिया। यह मामला एक गरीब छात्र से संबंधित था, जो वित्तीय और समय की कमी के कारण आईआईटी (IIT) में दाखिला नहीं ले सका।
अतुल, जो उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का निवासी है, ने इस वर्ष आईआईटी जेईई परीक्षा उत्तीर्ण की। उसे झारखंड के आईआईटी धनबाद में एक सीट आवंटित की गई, लेकिन दाखिले के लिए आवश्यक राशि जुटाने में उसे कठिनाई हुई। अतुल एक बहुत गरीब परिवार से है, जहां उसके पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। ऐसे में, उसने गांववालों से चंदा लेकर 17,500 रुपये इकट्ठा किए, जो उसने फीस जमा करने के अंतिम दिन ही हासिल किए। अतुल ने अपनी याचिका में बताया कि 24 जून को शाम 5 बजे से कुछ पहले फीस जमा करने के लिए निर्धारित पोर्टल ठप हो गया, जिसके कारण वह फीस नहीं जमा कर सका।
डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच करेगी सुनवाई
बाद में फीस जमा करने में असफलता के आधार पर उसे आईआईटी धनबाद में दाखिला नहीं मिल सका। अतुल ने झारखंड की लीगल सर्विस अथॉरिटी से सहायता मांगी, लेकिन उन्होंने बताया कि जेईई परीक्षा आईआईटी मद्रास द्वारा आयोजित की जाती है, इसलिए उसे चेन्नई में सहायता लेनी चाहिए। इसके बाद, छात्र ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारडीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने उसकी याचिका पर सुनवाई की।
मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए जजों ने सभी घटनाक्रम को अपने आदेश में दर्ज किया। उन्होंने आईआईटी की जॉइंट सीट एलोकेशन ऑथोरिटी के चेयरमैन, आईआईटी धनबाद के रजिस्ट्रार, और सरकारी वेबसाइटों का संचालन करने वाले नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर को नोटिस जारी किया। आदेश में कहा गया कि यह मामला संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट में दायर किया जा सकता था, लेकिन याचिकाकर्ता की सामाजिक पृष्ठभूमि और उसके अनुभव को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट इसे सुनेगा।
कोर्ट ने सोमवार (30 सितंबर 2024) को सुनवाई की तारीख तय की है और सभी पक्षों से जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि कोर्ट सभी तथ्यों की जानकारी लेना चाहता है और यह देखना चाहता है कि क्या इस छात्र का दाखिला बचाया जा सकता है।