भारतीय नौसेना ने अरब सागर और लाल सागर में सुरक्षा की गतिविधियों को बढ़ाने का प्रारंभ किया है। व्यापारिक जहाज पर हुए हमले के बाद, इस क्षेत्र में सुरक्षा में वृद्धि की जा रही है।
अरब सागर: गाजा में इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग ने पश्चिम एशिया के समुद्रों में तनाव बढ़ा दिया है। इस क्षेत्र में ईरान समर्थित समूहों द्वारा कमर्शियल जहाजों के खिलाफ हमले की खबरें आ रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय नौसेना ने सुरक्षा बढ़ाने के लिए अलर्ट मोड में आकर अरब सागर में सुरक्षा उपायों को मजबूत किया है।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नौसेना ने लाल सागर से भारतीय पश्चिमी तट तक की स्थिति की निगरानी रखने के लिए पांच शीर्ष फ्रंट-लाइन गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर्स को तैनात किया है। इनमें आईएनएस कोलकाता, आईएनएस कोच्चि, आईएनएस मोर्मुगाओ, आईएनएस चेन्नई और आईएनएस विशाखापत्तनम शामिल हैं, जिनमें ब्रह्मोस लैंड अटैक मिसाइल्स तैनात की गई हैं। इन सुरक्षा उपायों के माध्यम से भारतीय नौसेना ने इस क्षेत्र में बढ़ते तनाव का सामना करने का निर्णय लिया है।
आसमान से कैसे हो रही निगरानी?
नौसेना ने आकाशीय सुरक्षा के लिए बोइंग पी8आई एंटी-सबमरीन वारफेयर एयरक्राफ्ट और प्रीडेटर ड्रोन का उपयोग करना शुरू किया है। इन साधनों का उपयोग ईरान समर्थित समूहों के जहाजों की निगरानी के लिए किया जा रहा है, जिनके द्वारा कमर्शियल जहाजों को निशाना बनाया जा सकता है। साथ ही, भारतीय तटरक्षक बल ने पश्चिमी तट पर भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) की सुरक्षा के लिए डोर्नियर सर्विलांस एयरक्राफ्ट और गश्ती जहाजों का इस्तेमाल करना आरंभ किया है।
समुद्र में कैसे की जा रही निगरानी?
भारतीय नौसेना ने अपने युद्धक जहाजों को अरब सागर से लेकर लाल सागर तक फैला दिया है। लाल सागर के मुहाने पर बाब अल-मंडेब चोकपॉइंट के पास आईएनएस कोलकाता को तैनात किया गया है। यमन के सोकोट्रा द्वीप के दक्षिण में आईएनएस कोच्चि, पश्चिमी अरब सागर में आईएनएस मोरमुगाओ और मध्य अरब सागर में आईएनएस चेन्नई की तैनाती की गई है। आईएनएस विशाखापत्तनम को उत्तरी अरब सागर में गश्त करने का काम सौंपा गया है।
क्यों समुद्र में बढ़ाई गई सुरक्षा?
कुछ दिनों पहले, एक ईरानी ड्रोन ने एमवी चेम प्लूटो नामक एक केमिकल टैंकर पर हमला किया था, जो गुजरात के द्वारका से 210 नॉटिकल मील की दूरी पर समुद्र में था। इस हमले में भारतीय क्रू मेंबर्स सवार थे, लेकिन उनमें से किसी को चोटें नहीं आईं। यह जहाज लाइबेरिया के झंडे के नीचे था और इसका मालिक एक जापानी कंपनी को स्वामित्व है। इस जहाज को नीदरलैंड से ऑपरेट किया जा रहा था।
अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने बताया कि ईरान की तरफ से इस हमले को अंजाम दिया गया था। इस हमले के कारण जहाज में आग लग गई थी, जिसे तुरंत काबू किया गया। फिलहाल, यह जहाज मुंबई में रिपेयर के लिए भेजा गया है। इस हमले के बाद, भारतीय नौसेना ने अलर्ट स्थिति में रहकर अरब सागर से लेकर लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों पर नजर रखने का कार्रवाई किया है। भारत को इसी रास्ते से होकर गुजरने वाले तेल के आयात पर भी नजर रखी जा रही है।