मद्रास हाईकोर्ट के जज जस्टिस आर. सुब्रमण्यम ने सीनियर एडवोकेट विल्सन को फटकार लगाई और आरोप लगाया कि वह ट्रिक्स से जजों को केस से हटवाते हैं.
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ को कुछ वकीलों द्वारा लिखी गई चिट्ठी में जजों के आचरण पर चिंता जताई गई है। वकीलों का आरोप है कि कुछ जज सुनवाई के दौरान उनके साथ अपमानजनक व्यवहार करते हैं, जिससे वकीलों का मानहानि होती है। इस चिट्ठी में मद्रास हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन, तमिलनाडु बार एसोसिएशन और पुडुचेरी बार एसोसिएशन जैसी संस्थाओं के हस्ताक्षर शामिल हैं।
वकीलों की मांग है कि एक कमेटी बनाई जाए जो यह सुनिश्चित करे कि जज वकीलों के साथ सम्मानपूर्वक बात करें और उनके प्रति शिष्टाचार का पालन करें। चिट्ठी में लिखा गया है कि कुछ जज वकीलों को नीचा दिखाते हैं और इसी कारण वे उन पर चिल्लाते हैं।
यह मामला 1 अक्टूबर को एक वीडियो क्लिप वायरल होने के बाद प्रमुखता में आया, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस आर. सुब्रमण्यम सीनियर एडवोकेट पी. विल्सन को फटकार लगाते हुए दिख रहे हैं। जस्टिस सुब्रमण्यम ने विल्सन पर यह आरोप लगाया कि वे “ट्रिक्स” का उपयोग करते हैं और जजों को मामले से हटवाने की कोशिश करते हैं। वीडियो में एडवोकेट विल्सन कई बार क्षमा मांगने की कोशिश करते हैं, लेकिन जज ने उनकी सुनवाई से मना कर दिया।
मद्रास हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट पी. विल्सन ने बेंच को सुझाव दिया कि जस्टिस विक्टोरिया गौरी को मामले से हट जाना चाहिए। यह सुनवाई तमिलनाडु पब्लिक सर्विस कमीशन (TNPSC) में भर्ती से संबंधित 2018 और 2024 में दायर कई अपीलों और जनहित याचिकाओं पर हो रही थी। एडवोकेट विल्सन ने तर्क दिया कि जस्टिस गौरी ने पहले ही रिट पेटीशन स्वीकार कर लिया है और दिशा-निर्देश जारी किए हैं, इसलिए उन्हें मामले से अलग हो जाना चाहिए।
जस्टिस सुब्रमण्यम ने इस सुझाव पर नाराजगी व्यक्त करते हुए इसे “बेहद गैर जिम्मेदाराना बयान” करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कोर्ट का अपमान है और इस मामले की सुनवाई नहीं करेंगे। उन्होंने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि मामले को चीफ जस्टिस को ट्रांसफर किया जाए।
इस घटना के बाद कई वकीलों ने एडवोकेट विल्सन के समर्थन में आवाज उठाई। वकीलों के एसोसिएशन ने मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. श्रीराम और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिखी। चिट्ठी में उल्लेख किया गया है कि वकील और जज न्याय प्रशासन में समान अधिकार और हिस्सेदारी रखते हैं, लेकिन कुछ जजों को यह गलतफहमी है कि वकील उनके अधीनस्थ हैं। इस वजह से जज सुनवाई के दौरान वकीलों पर चिल्लाते हैं और अपमानजनक तरीके से बात करते हैं।