सुप्रीम कोर्ट ने एएसजी राजू से कहा कि हो सकता है कि सीबीआई के अधिकारी किसी विशेष राज्य के प्रति पक्षपाती हों, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि पूरी न्यायपालिका प्रभावी ढंग से काम नहीं कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2021 की हिंसा के बाद के मामलों को पश्चिम बंगाल से बाहर ट्रांसफर करने की मांग करने वाली केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की याचिका पर शुक्रवार (20 सितंबर, 2024) को सुनवाई की। कोर्ट ने याचिका में अदालतों पर आरोप लगाने के लिए CBI को फटकार लगाई। CBI ने चिंता जताई थी कि गवाहों को धमकाया जा सकता है, इसलिए मामलों को राज्य से बाहर भेजने की जरूरत है।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने कहा कि CBI पश्चिम बंगाल की पूरी न्यायपालिका पर आरोप नहीं लगा सकती। बेंच ने CBI के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) एस. वी. राजू से कहा, “आप किस आधार पर ऐसा कर रहे हैं? आप यह कैसे कह सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में पूरे न्यायिक तंत्र में प्रतिकूल माहौल है?”
कोर्ट ने कहा, “अगर हम मामलों को ट्रांसफर कर देते हैं, तो क्या इसका मतलब यह होगा कि हम मानते हैं कि राज्य की अदालतों में प्रतिकूल माहौल है और वे कार्य नहीं कर रही हैं? आपके अधिकारियों को किसी विशेष न्यायिक अधिकारी या राज्य से असहमति हो सकती है, लेकिन यह नहीं कह सकते कि पूरी न्यायपालिका काम नहीं कर रही। न्यायाधीशों और अन्य अदालतों के अधिकारियों के लिए यह संभव नहीं है कि वे अपना बचाव कर सकें।”
एएसजी राजू ने अपनी याचिका का बचाव करते हुए कहा कि उनका इरादा आरोप लगाने का नहीं था और मामला ठीक से प्रस्तुत नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणियों के बाद, एएसजी राजू ने याचिका वापस ले ली। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “पश्चिम बंगाल की अदालतों पर ये आरोप कैसे लगाए जा सकते हैं? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्रीय एजेंसी ने इन अदालतों पर आपत्ति जताने का निर्णय लिया।”
बेंच ने कहा, “एएसजी का कहना है कि आपत्ति लगाने का इरादा नहीं था, लेकिन याचिका में दिए गए बयानों से इसका उलट नजर आता है।” CBI ने गवाहों को धमकाने की चिंताओं के कारण दिसंबर 2023 में मामलों को पश्चिम बंगाल के बाहर स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था।