सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार को घड़ी चिन्ह के साथ विचाराधीन डिस्क्लेमर लगाने के आदेश का पालन करने के लिए कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 6 नवंबर को निर्धारित की गई है।
सुप्रीम कोर्ट: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शरद पवार को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार को घड़ी चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग को फिलहाल खारिज कर दिया है। एनसीपी (शरद पवार) ने 2 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें घड़ी चिन्ह के उपयोग पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार से शपथ पत्र मांगा है, जिसमें उन्हें घड़ी चिन्ह के साथ विचाराधीन डिस्क्लेमर लगाने के आदेश का पालन करने का उल्लेख करना होगा। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “हम इन्हें (अजित पवार) जवाब देने का मौका देंगे। यह हलफनामा भी दें कि भविष्य में हमारे आदेश का उल्लंघन नहीं होगा और यह भी लिखें कि अतीत में उन्होंने ऐसा नहीं किया है।” जस्टिस ने यह भी कहा कि अजित पवार को शपथ पत्र देना होगा कि वे 19 मार्च और 4 अप्रैल को आए हमारे आदेश का पालन कर रहे हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 6 नवंबर को होगी।
चुनाव आयोग ने अजित पवार की एनसीपी को असली पार्टी मानते हुए उन्हें घड़ी चिन्ह का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया था। कोर्ट में बहस के दौरान शरद पवार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “मार्च में हुई सुनवाई में कोर्ट ने चुनाव आयोग को हमारे लिए एक चिन्ह तुरही आवंटित करने का आदेश दिया। अजित पवार को कहा गया था कि घड़ी चिन्ह के साथ यह लिखें कि मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन उन्होंने इसका सही तरीके से पालन नहीं किया। लोग घड़ी चिन्ह को शरद पवार से पहचानते हैं।”
डिस्क्लेमर नहीं लगाने का आरोप लगाया गया
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “अजित पवार ने कोर्ट के आदेश के अनुसार डिस्क्लेमर नहीं लगाया। हमने कोर्ट को तस्वीरें सौंपी हैं। अब इन्हें इसकी सजा मिलनी चाहिए।” इस पर अजित पवार के वकील बलबीर सिंह ने उत्तर दिया, “उन्हें कुछ जिम्मेदारी दिखानी चाहिए। कोर्ट में गलत तस्वीरें पेश की जा रही हैं। टेंट हाउस वाले की गलती एक-दो मामलों में हो सकती है, लेकिन इसके आधार पर हम पर आरोप नहीं लगाया जा सकता। ये तस्वीरें सीधे कोर्ट में रखी गई हैं। हम अचानक इसका जवाब कैसे दे सकते हैं? हमें इस अर्जी की कॉपी पहले मिलनी चाहिए थी।”
बलबीर सिंह ने आगे कहा, “शरद पवार गुट ने लोकसभा चुनाव के समय भी यही बातें कही थीं। कोर्ट ने घड़ी चिन्ह को हमारे पास ही रहने दिया। अब इस पर और चर्चा नहीं होनी चाहिए।”