कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अगस्त में पूर्व मुख्य न्यायधीश (CJI) लोढ़ा के उस सुझाव का उल्लेख किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी न्यायाधीशों को एक साथ छुट्टी पर जाने के बजाय, उन्हें अलग-अलग समय पर छुट्टियां लेनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के जजों को मिलने वाली लंबी गर्मी की छुट्टियों को लेकर हमेशा विवाद रहे हैं, और अब इस पर बदलाव किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अब अपनी पारंपरिक गर्मी की छुट्टियों को “आंशिक अदालती कार्य दिवस” में बदल दिया है। इसके तहत अब छुट्टियों की संख्या 90 दिनों से अधिक नहीं होगी, जिसमें रविवार को शामिल नहीं किया जाएगा। पहले यह संख्या 103 थी। यह बदलाव मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई में किया गया और इसे अधिसूचित किया गया।
यह कदम तब उठाया गया जब सरकार ने जजों के लिए अलग-अलग छुट्टियों के बारे में एक संसदीय समिति की सिफारिशें अदालत के महासचिव और 25 हाई कोर्ट के महापंजीयक को भेजी थीं। सुप्रीम कोर्ट का यह बदलाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि जजों को लंबी छुट्टियां मिलने को लेकर आलोचना हो रही थी। यह घटना उच्चतम न्यायालय नियम, 2013 में संशोधन के तहत हुआ है, जो अब 5 नवंबर को अधिसूचित “उच्चतम न्यायालय (दूसरा संशोधन) नियम, 2024” बन चुका है।
अधिसूचना में कहा गया है कि आंशिक अदालती कार्य दिवसों की मियाद और संबंधित कार्यालयों के लिए छुट्टियों की संख्या मुख्य न्यायाधीश द्वारा तय की जाएगी और आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित की जा सकती है, और यह संख्या रविवार को छोड़कर 90 दिनों से अधिक नहीं होगी।
2025 के कैलेंडर के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आंशिक अदालत कार्य दिवस 26 मई 2025 से शुरू होकर 14 जुलाई 2025 तक रहेंगे। इसके साथ ही, अब “अवकाश जज” शब्द को “जज” से बदल दिया गया है। पहले सुप्रीम कोर्ट में हर साल मई से जुलाई तक ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान सात हफ्ते से ज्यादा छुट्टियां होती थीं, और इस दौरान 2 से 3 अवकाशकालीन बेंच होती थीं, जो जजों के द्वारा मामलों की सुनवाई करती थीं। इसके अलावा, दिसंबर में भी जजों की सर्दियों की छुट्टियां होती हैं।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अगस्त की शुरुआत में लोकसभा को सूचित किया था कि कानून और कार्मिक संबंधी संसद की स्थायी समिति ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आर. एम. लोढ़ा के सुझाव का उल्लेख किया था। लोढ़ा ने सुझाव दिया था कि सभी जजों को एक साथ छुट्टियों पर जाने के बजाय, उन्हें अलग-अलग समय पर छुट्टियां लेनी चाहिए।
समिति ने यह सिफारिश की कि जजों को साल के विभिन्न समयों पर छुट्टियां लेनी चाहिए, ताकि अदालतें लगातार खुली रहें और वे मामलों की सुनवाई के लिए हमेशा उपलब्ध रहें। समिति का मानना था कि जस्टिस लोढ़ा के सुझाव पर न्यायपालिका को विचार करना चाहिए।