पवन खेड़ा ने कहा कि 31 मार्च 2024 तक माधबी बुच के पास अगोरा कंपनी में 99% हिस्सेदारी है। वह कंपनी की हिस्सेदारी को लेकर झूठ बोलते हुए पकड़ी गई हैं।
माधबी पुरी बुच पर कांग्रेस: हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद से कांग्रेस का ध्यान सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर केंद्रित हो गया है। कांग्रेस की ओर से सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) पर लगातार नए आरोप लगाए जा रहे हैं। इसी क्रम में, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मंगलवार, 10 सितंबर को आरोप लगाया कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच ने ‘अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड’ के जरिए महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों से 2.95 करोड़ रुपये प्राप्त किए हैं।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, सेबी अध्यक्ष पर अपना हमला तेज करते हुए कांग्रेस ने मंगलवार को यह दावा किया कि माधबी पुरी बुच ने बाजार नियामक की पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद भी अपनी परामर्श फर्म अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों से 2.95 करोड़ रुपये अर्जित किए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि सेबी में शामिल होने के बाद भी अगोरा कंपनी निष्क्रिय नहीं हुई, जैसा कि माधबी बुच ने दावा किया था। उन्होंने बताया कि कंसल्टेंसी फर्म ने 2016-2024 के बीच सेवाएं प्रदान करना जारी रखा और 2.95 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया।
‘कंपनी की हिस्सेदारी के बारे में झूठ बोलते हुए रंगे हाथों पकड़ी गई माधबी बुच’
पवन खेड़ा ने कहा कि 31 मार्च 2024 तक माधबी बुच के पास अगोरा कंपनी में 99% हिस्सेदारी है और वह कंपनी की हिस्सेदारी को लेकर झूठ बोलते हुए पकड़ी गई हैं। उन्होंने इसे जानबूझकर जानकारी छिपाने का मामला बताया। महिंद्रा एंड महिंद्रा के अलावा, अगोरा से परामर्श सेवाएं लेने वाली अन्य कंपनियों में डॉ. रेड्डीज, पिडलाइट, आईसीआईसीआई, सेम्बकॉर्प, और विसु लीजिंग एंड फाइनेंस शामिल हैं। खेड़ा ने यह भी कहा कि अगोरा को प्राप्त कुल 2.95 करोड़ रुपये में से 2.59 करोड़ रुपये, या 88% आय, महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह से आई है।
इससे पहले भी कांग्रेस ने सेबी प्रमुख पर आरोप लगाए थे। पिछले महीने कांग्रेस ने बुच पर आईसीआईसीआई बैंक में लाभ का पद संभालने और 2017 से 2024 के बीच 16.80 करोड़ रुपये की आय प्राप्त करने का आरोप लगाया था, हालांकि आईसीआईसीआई बैंक ने उन्हें कोई वेतन देने से इनकार किया।
यह मामला तब शुरू हुआ जब अगस्त में अमेरिकी शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने माधबी बुच और उनके पति पर आरोप लगाए। रिसर्च कंपनी ने कहा कि उन्होंने उस विदेशी फंड में निवेश किया था, जिसका अदानी समूह ने इस्तेमाल किया, जिसके कारण सेबी अडाणी के खिलाफ जांच से पीछे हट रही है।