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हमारे बारह फिल्म की रिलीज पर लगी रोक…

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याचिकाकर्ता का आरोप है कि फिल्म का टीज़र इस्लामिक मान्यताओं का अपमान करता है और विवाहित मुस्लिम महिलाओं का अपमान करता है। अगर फिल्म रिलीज होती है तो यह संविधान के अनुच्छेद 19(2) और अनुच्छेद 25 का उल्लंघन होगा.

अभिनेता अनु कपूर की फिल्म “हमारे बारह” की रिलीज को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (13 जून 2024) को रोक लगा दी है। शुक्रवार को फिल्म की स्क्रीनिंग होनी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक हाईकोर्ट मामले का निर्णय नहीं कर देता है, तब तक फिल्म की रिलीज पर रोक लगी रहेगी। फिल्म के खिलाफ यह आरोप लगाया गया है कि इसने इस्लामिक आस्था और शादीशुदा मुस्लिम महिलाओं को अपमानित किया है। इस मामले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।

फिल्म का टीजर 7 जून को रिलीज हो गया था। सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच ने कहा कि उन्होंने आज सुबह यूट्यूब पर फिल्म का टीजर देखा है और उन्हें लगता है कि यह विवादास्पद है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता ने आदेश देते हुए कहा कि जब तक हाईकोर्ट में यह मामला चल रहा है, फिल्म की स्क्रीनिंग नहीं हो सकती है। जस्टिस विक्रम नाथ ने हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि टीजर विवादास्पद है और उच्च न्यायालय ने इसकी स्क्रीनिंग पर रोक का आदेश जारी किया है, जो लागू रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट में क्या बोले दोनों पक्ष के वकील?

हाईकोर्ट ने एक कमेटी को गठित किया है जिसका उद्देश्य फिल्म “हमारे बारह” का रिव्यू करना है। हालांकि, अभी तक कमेटी ने कोई रिपोर्ट सबमिट नहीं की है और उन्होंने इसके लिए समय मांगा है। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को दोनों पक्षों की तरफ से पेश वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। याचिकाकर्ता के वकील फौजिया शकील ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने सीबीएफसी कमेटी बनाने का निर्देश देकर गलती की है क्योंकि वह इच्छुक पार्टी है। जस्टिस मेहता ने भी एडवोकेट फौजिया शकील की बात का समर्थन किया।

दूसरे पक्ष की तरफ से पेश वकील मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि फिल्ममेकर के पास फिल्म रिलीज करने का अधिकार है क्योंकि सीबीएफसी की तरफ से उन्हें सर्टिफिकेट मिल चुका है और हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार आपत्तिजनक सीन भी हटा दिए गए हैं। एडवोकेट मनीष श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता की आपत्ति फिल्म की टीजर पर है, जो कि सभी पब्लिक प्लेटफ़ॉर्म से हटा दिया गया है। उन्होंने कोर्ट से हाईकोर्ट के एक हफ्ते में मामले का निपटारा करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया। इस पर बेंच ने कहा कि वह हाईकोर्ट से आग्रह कर सकते हैं, उन्हें सुपरवाइज नहीं कर सकते।

‘हमारे बारह’ पर याचिकाकर्ता का क्या है आरोप?

याचिकाकर्ता अजहर बाशा तंबोली ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) के खिलाफ रिट याचिका दाखिल करके “हमारे बारह” के दिए गए सर्टिफिकेशन को रद्द करने और रिलीज पर रोक लगाने की मांग की। उनका आरोप है कि फिल्म का टीजर सिनेमेटोग्राफ एक्ट, 1952 का उल्लंघन करता है और इसलामिक मान्यताओं और शादीशुदा मुस्लिम महिलाओं का अपमान करता है। उन्होंने कहा कि टीजर में कुरान की आयत-223 को मिसरीड किया गया है और दिखाया गया है कि मुस्लिम महिलाओं को समाज में कोई व्यक्तिगत अधिकार प्राप्त नहीं है। उनका कहना है कि फिल्म की रिलीज से पहले इसमें सुधार निर्देश दिए गए थे, लेकिन ट्रेलर में सीबीएफसी के सर्टिफिकेशन का कोई डिस्क्लेमर नहीं है।

14 जून को फिल्म की रिलीज होनी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे रोक दिया और एक तीन सदस्यीय कमेटी से फिल्म को देखकर रिव्यू करने का निर्देश दिया। कमेटी ने रिव्यू नहीं दिया और अब थोड़ा वक्त मांगा गया है। कोर्ट ने फिल्म निर्माताओं से आपत्तिजनक डायलॉग हटाने को भी कहा है। फिल्म की रिलीज पर अभी भी रोक बनी हुई है।

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