0 0
0 0
Breaking News

हाईकोर्ट ने लगाई रोक आदमखोर वन्यजीव को मारने पर…

0 0
Read Time:4 Minute, 19 Second

उत्तराखंड के भीमताल में, एक अज्ञात नरभक्षी वन्यजीव ने कुछ लोगों को हमला किया, जिससे स्थानीय ग्रामीणों में बड़ा आक्रोश उत्पन्न हुआ। इसके पश्चात, वन विभाग ने उस वन्यजीव को मारने की अनुमति देने का आदेश जारी किया।

उत्तराखंड समाचार: उत्तराखंड की हाईकोर्ट ने एक अज्ञात नरभक्षी वन्यजीव को मारने के लिए वन विभाग की ओर से दी गई अनुमति पर स्वतंत्रता से संज्ञान लिया है। कोर्ट ने वन्यजीव को मारने के आदेश पर रोक लगा दी है। इस घटना के पीछे का कारण यह था कि एक बाघ ने भीमताल में महिलाओं को अपना शिकार बनाया था, जिससे स्थानीय ग्रामीणों में बड़ा आक्रोश उत्पन्न हुआ था। ग्रामीण बाघ को आदमखोर घोषित करके उसे मारने की मांग कर रहे थे।

वनमंत्री सुबोध उनियाल ने इस बाघ को आदमखोर घोषित कर दिया है। अधिकारियों ने घटनास्थल पर 36 कैमरे और आसपास 5 पिंजरे लगाए हैं, लेकिन नैनीताल हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वतंत्रता से संज्ञान लेते हुए वन्यजीव को मारने पर रोक लगा दी है।

ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू सेंटर भेजें

न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने वन विभाग से कहा है कि हमलावर या हिंसक जानवर की पहचान करने के लिए कैमरे और पकड़ने के लिए पिंजरे लगाए जाएं। यदि पकड़ में नहीं आता है तो उसे ट्रेंकुलाइज़ करके रेस्क्यू सेंटर भेजा जाए। कोर्ट ने सख्त शब्दों में कहा है कि अभी तक यह पता नहीं चला है कि वह बाघ है या गुलदार, फिर भी मारने के आदेश दे दिए गए हैं। कोर्ट ने वन्यजीव संरक्षण की धारा 11ए के तहत उसे मारने के आदेश पर स्पष्टता लाने के लिए गुरुवार तक का समय दिया है।

मामले की सुनवाई 21 दिसंबर को होगी

गुरुवार को नैनीताल हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत, चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन धनंजय, और डीएफओ चंद्रशेखर जोशी शामिल थे। मामले में खंडपीठ ने वन अधिकारियों से गुलदार को मारने की अनुमति देने के प्रावधान के बारे में जानकारी मांगी, लेकिन उन्होंने इसका स्पष्ट जवाब नहीं दिया।

हाईकोर्ट ने और क्या कहा?

उनका कहना था कि वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 13ए में हमलावर और खूंखार जानवर को मारने की अनुमति दी जाती है। वन अधिकारियों ने आदमखोर को पकड़ने के लिए 5 पिंजरे और 36 कैमरे लगा रखे हैं। हाईकोर्ट ने कहा है कि गुलदार हो या बाघ, उसे मारने के बजाय रेस्क्यू सेंटर भेजा जाना चाहिए। हिंसक जानवर को मारने के लिए चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन की संस्तुति आवश्यक है, न कि किसी नेता के आंदोलन की।

कोर्ट ने कहा है कि वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 11 ए के तहत तीन परिस्थितियों में किसी जानवर को मार सकते हैं। उसे पहले उस क्षेत्र से खदेड़ा जाता है, फिर ट्रेंक्यूलाइज़ कर रेस्क्यू सेंटर में रखा जाता है। आखिर में मारने जैसा अंतिम और कठोर कदम उठाया जा सकता है।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *