सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह सिद्धांत पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत दर्ज मामलों पर भी लागू होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 28 अगस्त 2024 को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सहयोगी प्रेम प्रकाश को जमानत दी, जो प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज अवैध खनन मामले में जेल में थे। कोर्ट ने प्रेम प्रकाश को राहत देते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में भी जमानत नियम है, जबकि जेल अपवाद होना चाहिए।
जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज मामलों में भी जमानत का सिद्धांत लागू होता है। कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को 9 अगस्त को दिए गए जमानत आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि स्वतंत्रता से वंचित करना अपवाद है और जमानत नियम।
बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि PMLA की धारा 45 के तहत दोहरी शर्तें व्यक्ति की स्वतंत्रता के इस सिद्धांत को समाप्त नहीं करतीं। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के 22 मार्च के आदेश को खारिज करते हुए प्रेम प्रकाश को जमानत दी, जबकि हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने अधीनस्थ अदालत को मामले की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश भी दिया।