बांग्लादेश में संत चिन्मय दास की गिरफ्तारी के मामले में इस्कॉन ने अब उनके समर्थन में बयान जारी किया है। संगठन ने हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों और जबरन धर्मांतरण के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मांग की है।
संत चिन्मय दास: संत चिन्मय दास की देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी ने भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव बढ़ा दिया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस कदम की तीखी आलोचना करते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है। इस मामले ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी गंभीरता से ध्यान खींचा है।
सूत्रों के मुताबिक, विवाद के आरंभ में इस्कॉन बांग्लादेश ने संत चिन्मय दास से दूरी बनाते हुए उन्हें संगठन का आधिकारिक सदस्य मानने से इनकार किया था। हालांकि, बाद में इस्कॉन ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वे चिन्मय दास के साथ खड़े हैं। इस्कॉन बांग्लादेश के महासचिव, चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी, ने बताया कि अनुशासन भंग के कारण उन्हें पदों से हटाया गया था, लेकिन संगठन उनके शांतिपूर्ण आह्वानों का समर्थन करना जारी रखेगा।
इस्कॉन की छवि धूमिल करने की हो रही है कोशिश
चारु चंद्र दास ने यह भी कहा कि इस्कॉन हिंदू समुदाय की एकता बनाए रखने और जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सक्रिय होने के कारण कट्टरपंथी संगठनों के निशाने पर है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये संगठन इस्कॉन की छवि खराब करने की साजिश रच रहे हैं। साथ ही, उन्होंने ढाका हाई कोर्ट के उस फैसले का स्वागत किया, जिसमें इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की याचिका को खारिज कर दिया गया।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन की अपील
इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के संरक्षण की मांग को तेज कर दिया है। इस्कॉन ने बांग्लादेश के हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचार और जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए वैश्विक समुदाय से सहयोग की अपील की है। संगठन ने स्पष्ट किया है कि वह शांतिपूर्ण संघर्ष और धार्मिक स्वतंत्रता के समर्थन में मजबूती से खड़ा रहेगा।